...तो अमित शाह ने दो बार कहने पर नीतीश ने प्रशांत किशोर को JDU में शामिल किया

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[email protected] । Jan 16 2019 10:25AM

मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल ने उन्हें निराश किया जब उन्होंने ‘‘कोई बयान तक नहीं दिया, जिससे कि (गठबंधन छोड़ने के बारे में) मैं दोबारा विचार कर सकता था।’’

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार की रात दावा किया कि उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को जद (यू) में शामिल कर लेने का दो बार सुझाव दिया था। कुमार ने यहां एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखने से जुड़े सवाल पर यह बात कही। किशोर को पिछले साल सितंबर में जद (यू) में शामिल किया गया था और कुछ ही हफ्ते बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था। इससे ऐसी अटकलें लगने लगी कि कुमार उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने के बारे में सोच रहे हैं। 

उन्होंने कहा, ‘‘वह हमारे लिये नए नहीं हैं। उन्होंने हमारे साथ 2015 के विधानसभा चुनाव में काम किया था। थोड़े समय के लिये वह कहीं और व्यस्त थे। कृपया मुझे बताने दें कि अमित शाह ने मुझे दो बार किशोर को जद (यू) में शामिल करने को कहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रशांत किशोर को समाज के सभी तबके से युवा प्रतिभाओं को राजनीति की ओर आकर्षित करने का काम सौंपा गया है। राजनीतिक परिवारों में नहीं जन्मे लोगों की राजनीति से पहुंच दूर हो गई है।’’ कुमार ने कहा, ‘‘मुझे प्रशांत किशोर से काफी लगाव है। लेकिन, उत्तराधिकारी जैसी बातें हमें नहीं करनी चाहिये। यह राजशाही नहीं है।

बिहार में जब जरूरत थी तब राहुल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टैंड नहीं लिया: नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर रूख अख्तियार करने में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘अक्षमता’ के कारण वह विपक्षी गठबंधन से बाहर निकल गए। कुमार ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटें दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल ने उन्हें निराश किया जब उन्होंने ‘‘कोई बयान तक नहीं दिया, जिससे कि (गठबंधन छोड़ने के बारे में) मैं दोबारा विचार कर सकता था।’’ कुमार ने कहा, ‘‘हमेशा से मेरा रुख रहा है कि अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से कोई समझौता नहीं होगा। उनकी कार्यशैली इस तरह की थी कि मेरे लिये काम करना मुश्किल होता जा रहा था। सभी स्तरों पर हस्तक्षेप था। उनके लोग अपने फरमानों के साथ थाने में टेलीफोन करते थे।’’ 

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