फ्रेंडशिप डे पर 'थर्ड फ्रंट' के चौटाला से नीतीश की मुलाकात, क्या इनेलो को NDA में एंट्री के रास्ते की तलाश?

Nitish chautala
अभिनय आकाश । Aug 2 2021 7:18PM

हरियाणा के पांच बार के मुख्यमंत्री रह चुके ओम प्रकाश चौटाला और बिहार के सीएम व एनडीए सहयोगी नीतीश की मुलाकात के कई सारे मायने लगाए जा रहे हैं। राजनीति के इन धुरंधर खिलाड़ियों के बीच बंद कमरे में हुई बात और फिर लंच के बाद ऐसा किया जाना लाजिमी भी है।

ममता बनर्जी के बाद दिल्ली आए नीतीश कुमार को लेकर चर्चा काफी गर्म है। खासतौर पर अपनी पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक के बाद नीतीश कुमार ओम प्रकाश चौटाला से मिले। नीतीश कुमार चौटाला से मिलने रविवार की शाम गुरुग्राम के उनके आवास पर गए। उनके साथ जेडीयू के थिंक टैंक कहे जाने वाले केसी त्यागी भी मौजूद थे। दोनों के बीच मुलाकात ऐसे वक्त में हुई जब देश में एंटी मोदी फ्रंट बनाने की कवायद तेजी से हो रही है। इंडियन नेशनल लोक दल के ओम प्रकाश चौटाला तीसरे मोर्चे के गठन पर जोड़ दे चुके हैं। जिसके बाद से ये अटकलें लगाई जाने लगी कि चौटाला की पहल में नीतीश कुमार भागीदार तो नहीं बनने जा रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है। 

चौटाला करते रहे तीसरे मोर्चे की वकालत

भर्ती घोटाला मामले में 10 साल जेल की सजा काटकर हाल ही में जेल से रिहा हुए इनेलो नेता तीसरे मोर्चे के गठन की वकालत कई मौकों पर करते रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों कहा भी था  कि 25 सितंबर को उनके पिता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल की जयंती से पहले वह विपक्षी नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे और उनसे एक मंच पर साथ आने का अनुरोध करेंगे। चौटाला का कहना था कि हमारा प्रयास होगा कि एक मजबूत तीसरा मोर्चा बने। 

नीतीश करें तीसरे मोर्चे की अगुवाई 

हरियाणा के पांच बार के मुख्यमंत्री रह चुके ओम प्रकाश चौटाला और बिहार के सीएम व एनडीए सहयोगी नीतीश की मुलाकात के कई सारे मायने लगाए जा रहे हैं। राजनीति के इन धुरंधर खिलाड़ियों के बीच बंद कमरे में हुई बात और फिर लंच के बाद ऐसा किया जाना लाजिमी भी है। दरअसल, चौटाला की चाह तीसरे मोर्चे वाली ओल्ड थ्योरी की अगुवाई नीतीश द्वारा करवाए जाने की रणनीति है, हालांकि सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी नीतीश ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि इंडियन नेशनल लोक दल जिसका न तो कोई विधायक है और न ही सांसद वो कैसे तीसरा मोर्चा बनाने के बारे में सोच सकता है? इस तरह की तमाम कोशिशें बीते दौर से लेकर वर्तमान दौर में भी चंद्रबाबू नायडू, मायावती, अखिलेश, मायावती सहित कई नेता कर चुके हैं और कामयाबी कितनों को मिली इसका जवाब सभी बखूबी जानते हैं।  

नीतीश के तीसरे मोर्चे में जाने की कितनी संभावना 

बीजेपी और जेडीयू 2005 से बिहार में साथ हैं और अगर 2013 से 2017 तक के 4 साल के वक्त को छोड़ दें तो बाकी समय बिहार में जेडीयू और बीजेपी की साझा सरकार रही है।  वर्तमान दौर में भी राज्य में दोनों दलों की सरकार है और बीजेपी के विधायकों की संख्या ज्यादा होते हुए भी नीतीश को सीएम पद पर बिठाया गया है। ऐसे में नीतीश अपनी कुर्सी को खतरे में डाल तीसरे मोर्चे में जाने के बारे में सोचेंगे ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। वैसे भी अगर नीतीश को तीसरा मोर्चा बनाना होता तो वो पहले ही बना लेते। लेकिन वर्तमान दौर में नीतीश के तीसरे मोर्चे में जाने की संभावना न के बराबर है।  

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ऐसे बनी मुलाकात की पृष्ठभूमि

नीतीश कुमार और चौधरी देवीलाल के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। 80-90 के दशक में नीतीश के पास साधनों का अभाव था। चंद शेखर और देवीलाल जैसे राजनीतिक संरक्षण ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए धन मुहैया कराया। देवीलाल ने हरियाणा से एक सुंदर सी आरामदायक विलिस कार सीएचके- 5802 नीतीश के लिए भिजवा दी ताकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में आसानी से घूम फिर सके। मप्रकाश चौटाला और उनके सभी उम्मीदवारों ने नीतीश कुमार के दल समता पार्टी से 1996 का लोकसभा और प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था। 1996 में पूर्व उप प्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी देवीलाल ने भी समता पार्टी की टिकट पर रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा चौटाला के लंच वाले न्यौते को स्वीकार करना ही था। जिसके सूत्रधार जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी बने। जिन्होंने 23 जुलाई को ओम प्रकाश चौटाला से उनके गुरूग्राम स्थित निवास पर शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान केसी त्यागी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर ओम प्रकाश चौटाला की बात करवाई और नीतीश कुमार ने उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना। 

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नीतीश के सहारे कार्यकर्ताओं को संदेश में जुटे चौटाला

खुद को राष्ट्रीय राजनीति में  प्रासंगिक बनाए रखने के लिए भी इनेलो सुप्रीमो नीतीश से मुलाकात को तीसरे मोर्चा बनाने से जोड़कर बता रहे हैं। लेकिन अगर वास्तविकता के तकाजे से इस मुलाकात को देखें तो पाएंगे कि इसके जरिए अपने कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनमें अभी भी दमखम बाकी है और दूसरा भविष्य की राजनीति को लेकर भी चौटाला ऐसा कर रहे हैं।

एनडीए में तलाश रहे भविष्य?

ओम प्रकाश चौटाला भले ही किसान आंदोलन को लेकर खिलाफत वाली राजनीति कर रहे हो। लेकिन इतिहास उठाकर देखेंगे तो पाएंगे कि 2012 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के चौथी बार सीएम बने थे तो अहमदाबाद में उनके शपथग्रहण समारोह में ओमप्रकाश चौटाला भी शामिल हुए थे, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का चौटाला ने स्वागत भी किया था और 2014 में अपने दो सांसदों का मोदी सरकार को समर्थन भी दिया था। 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दुष्यंत की पार्टी जेजेपी का अगर प्रदर्शन  खराब रहता है, तो उस सूरत में हो सकता है कि इनेलो की एनडीए में एंट्री हो जाए! जिसकी राह वो नीतीश और केसी त्यागी के माध्यम से तलाशने की कवायद में लगे हों! 

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