दिल्ली में नहीं बचा कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री, एक साल के भीतर तीन का निधन
दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का कार्यकाल 2 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996 तक रहा। खुराना को भारत की राजधानी नई दिल्ली में भाजपा को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।
सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज के निधन के साथ हीं दिल्ली में कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री नहीं बचा जो जीवित हो। पिछले एक साल के अंदर दिल्ली के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों का निधन हो गया। 27 अक्टूबर 2018 की रात को पूर्व सीएम और 'दिल्ली का शेर' कहे जाने वाले मदन लाल खुराना का निधन हो गया तो 20 जुलाई, 2019 को शीला दीक्षित ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साहिब सिंह वर्मा का 2007 में ही निधन हो गया था।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi, senior BJP leader LK Advani and Defence Minister Rajnath Singh at Lodhi Crematorium. #SushmaSwaraj pic.twitter.com/tGzAfzQ1Ha
— ANI (@ANI) August 7, 2019
दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का कार्यकाल 2 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996 तक रहा। खुराना को भारत की राजधानी नई दिल्ली में भाजपा को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने केदार नाथ सहनी और विजय कुमार मल्होत्रा के साथ 1960 से 2000 तक यानि कि चार दशकों से अधिक समय तक पार्टी को नई दिल्ली में बनाए रखा। शुरू से जनता पार्टी के नेता रहे साहिब सिंह वर्मा बाद में भाजपा में शामिल हो गए। मदन लाल खुराना की नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में शिक्षा और विकास मंत्री बने। मदन लाल खुराना के भ्रष्टाचार के मामले में फंसने के बाद भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा को दिल्ली का कमान सौंपा। खुराना से बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच साहिब सिंह वर्मा का कार्यकाल ढाई साल तक चला।
इसे भी पढ़ें: पंचतत्व में विलीन सुषमा स्वराज, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई
दिल्ली भाजपा के आंतरिक गुटबाजी से परेशान होकर आलाकमान ने सुषमा स्वराज को सीएम बनाया। प्याज की कीमत की वजह से भाजपा सत्ता में नहीं आ सकी। सुषमा स्वराज का कार्यकाल 52 दिन का ही रहा। सुषमा स्वराज दिल्ली के हौज खास इलाके से विधायक रहीं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में सुषमा स्वराजअपनी विनम्रता, मिलनसार व्यवहार, बेहतरीन मेहमान नवाजी और सबको सुनने वाली नेता के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब रहीं। बाद में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी इस छवि को बरकरार रखा।
दिल्ली में कांग्रेस को सत्ता में लाने वाली शिला दीक्षित 15 वर्षों तक यहां की मुख्यमंत्री रहीं। शीला ने 1990 के दशक में जब दिल्ली की राजनीति में कदम रखा तो कांग्रेस में एचकेएल भगत, सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर सरीखे नेताओं की तूती बोलती थी। इन सबके बीच शीला ने न सिर्फ अपनी जगह बनाई, बल्कि कांग्रेस की तरफ से दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री बनीं। दिल्ली के विकास में शीला का अहम योगदान माना जाता है।
अन्य न्यूज़