कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा कोई दूसरा समाधान नहीं हो सकता: कांग्रेस

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पंजाब के उन कांग्रेस सांसदों ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की जो केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध और प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में पिछले एक महीने से जंतर-मंतर पर खुले आसामान के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं। गुरजीत सिंह औजला, रवनीत बिट्टू, जसबीर गिल और कई अन्य सांसदों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास 12, तुगलक लेन में प्रियंका से मुलाकात की।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने किसान संगठनों और सरकार के बीच नए दौर की बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार को कहा कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लिया जाना ही इस मुद्दे का समाधान है क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा समाधान नहीं है। पार्टी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में ‘किसान के लिए भारत बोले’ हैशटैग से सोशल मीडिया अभियान भी चलाया जिसके तहत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लोगों से किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज बुलंद करने की अपील की। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि ‘तारीख पे तारीख देना’ उसकी रणनीति है। उन्होने ट्वीट किया, ‘‘नीयत साफ़ नहीं है जिनकी, तारीख़ पे तारीख़ देना स्ट्रैटेजी है उनकी!’’ उधर, पंजाब के उन कांग्रेस सांसदों ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की जो केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध और प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में पिछले एक महीने से जंतर-मंतर पर खुले आसामान के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं। गुरजीत सिंह औजला, रवनीत बिट्टू, जसबीर गिल और कई अन्य सांसदों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास 12, तुगलक लेन में प्रियंका से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद प्रियंका ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘किसानों और सरकार के बीच बातचीत का आज आठवां दौर खत्म हो गया। किसानों को आशा थी कि भाजपा सरकार अपनी कथनी के अनुसार किसानों का कुछ सम्मान तो करेगी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। वार्ता करने वाले मंत्री बैठक में देर से पहुंचे और बिल वापस न लेने की बात करते रहे। किसान सरकार के रुख से नाराज़ हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे। हम किसानों के साथ हमेशा रहे हैं। समाधान यही है कि कानून वापस लिए जाएं। इसके अलावा कोई और समाधान नहीं है।’’ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार पर अड़ियल रुख अपनाने का आरोप लगाया और सवाल किया कि क्या वह किसानों को थकाने की रणनीति पर चल रही है? 

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उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यदि सरकार के पास देने के लिए कुछ नहीं है, तो उसने किसान संगठनों के साथ एक और बैठक करने के लिए क्यों कहा है? क्या यह प्रदर्शनकारियों को एक और सप्ताह के लिए कड़ी ठंड में रहने के लिए कहकर थकाने की रणनीति है?’’ गौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता बेनतीजा संपन्न हुई। सूत्रों के मुताबिक अगली बैठक 15 जनवरी को हो सकती है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने शुक्रवार को सरकार से दो टूक कहा कि उनकी ‘‘घर वापसी’’ तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी। सरकार ने कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग खारिज करते हुए इसकेबिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर दिया। किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए। अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान दिल्ली के निकट पिछले करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये कानून कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के कदम हैं और इनसे खेती से बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी तथा किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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