समान नागरिक संहिता का चुनाव से संबंध नहींः प्रसाद
विधि मंत्रालय का आज कार्यभार संभालने वाले रविशंकर प्रसाद ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के विषय को विधि आयोग को भेजने का उत्तर प्रदेश चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
विधि मंत्रालय का आज कार्यभार संभालने वाले रविशंकर प्रसाद ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के विषय को विधि आयोग को भेजने का उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। विधि मंत्री ने कहा, ‘‘इसे चुनाव से नहीं जोड़ें। उत्तराखंड में भी चुनाव होने हैं.. यह तथ्य है कि संविधान का अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता की बात करता है। उच्चतम न्यायालय ने समय समय पर समान नागरिक संहिता के बारे में व्यवस्था दी है.. यह हमारे (भाजपा) चुनाव घोषणापत्र में भी है।’’
समान नागरिक संहिता के बारे में संवाददाताओं के कई सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ''इस बारे में व्यापक विचार विमर्श किये जाने की जरूरत है। विधि आयोग से विचार विमर्श करने को कहा गया है। वह जो भी रिपोर्ट पेश करेगा, वह उसके विवेकाधिकार का मामला है।’’
विधि मामलों के विभाग ने पिछले महीने आयोग से समान नागरिक संहिता पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा था जो भाजपा और संघ परिवार के लिए हमेशा पसंदीदा विषय रहा है। इस पहल को ऐसे समय में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि वह ‘तीन बार तलाक’ की संवैधानिक वैधानिकता पर कोई निर्णय करने से पहले व्यापक सार्वजनिक चर्चा चाहती है। इस बारे में कई लोगों की शिकायत है कि इसका दुरूपयोग करते हुए मनमाने ढंग से पत्नियों को तलाक दिया जाता है। इस पहल का भाजपा ने स्वागत किया है हालांकि मुस्लिम मजलिस और कुछ कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया है।
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