लोकतंत्र में सूचना की अधिकता को हमेशा पसंद किया जाता है: कोविंद
शासन व्यवस्था में पारदर्शिता की पुरजोर वकालत करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र में ‘अत्यधिक सूचना’ जैसी कोई चीज नहीं होती है और सूचना की अधिकता को हमेशा पसंद किया जाता है।
नयी दिल्ली। शासन व्यवस्था में पारदर्शिता की पुरजोर वकालत करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र में ‘अत्यधिक सूचना’ जैसी कोई चीज नहीं होती है और सूचना की अधिकता को हमेशा पसंद किया जाता है। आरटीआई मामलों की शीर्ष अपीली संस्था केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 13वें वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति ने गोपनीयता के दायरे से बाहर करने की प्रक्रिया एवं अभिलेखागार के रखरखाव की वकालत की।
कोविंद ने कहा, ‘चीजों को गोपनीयता के दायरे से बाहर करने के प्रोटोकाल और अभिलेखागार से जुड़े दस्तावेजों पर ध्यान देने की जरूरत है। यह भी देखने की जरूरत है कि हम इन्हें आधुनिक स्वरूप कैसे प्रदान कर सकते हैं।’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने आरटीआई अधिनियम के तहत करीब पांच लाख लोक सूचना अधिकारियों को नियुक्त किया है और अनुमानित रूप से सूचना प्राप्त करने के संबंध में प्रति वर्ष करीब 60 लाख आग्रह आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में अत्यधिक सूचना जैसी कोई चीज नहीं होती है। कमी की बजाए सूचनाओं की अधिकता को हमेशा पसंद किया जाता है।’ कोविंद ने कहा कि सूचना का अधिकार नागरिकों एवं सरकार के बीच सामाजिक विश्वास के संबंधों को पोषित करने से जुड़ा है और जहां दोनों को एक दूसरे पर भरोसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सार्वजनिक संसाधनों को व्यावहारिक उपयोग करने की जरूरत है ताकि बर्बादी या भ्रष्टाचार की घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि सामान्य लोगों को सूचना प्रदान करना, उसपर विश्वास करना और अंतत: उनका सशक्तिकरण सराहनीय लक्ष्य हैं लेकिन स्पष्टतया ये इसकी परिणति नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब हम लोगों को जोड़ेंगे, सशक्त बनायेंगे और उनकी कार्यक्षमता सुनिश्चित करेंगे तभी इसके निश्चित उद्देश्यों को हासिल किया जा सकेगा। तभी नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा। आरटीआई इसी व्यापक सोच का हिस्सा है। इससे पहले सम्मेलन को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने संबोधित किया।
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