सिर्फ PM मोदी ही नहीं, बल्कि समस्त गुजरातियों की भावनाओं में है सरदार सरोवर डैम

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अंकित सिंह । Sep 23 2019 3:41PM

सरदार सरोवर बांध परियोजना 18.45 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है। इसमें गुजरात के 15 जिलों के 73 तालुका के 3,112 गांव शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में अपना 69 वां जन्मदिन मनाया। यह कहीं ना कहीं गुजरात वासियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और गर्व का दिन रहा होगा क्योंकि पहली बार सरदार सरोवर बांध 138.68 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर पहुंच गया था। जब केंद्र में UPA की सरकार थी तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार गुजरात के प्रति सौतेला व्यवहार रखती थी। सरदार सरोवर बांध के लिए उन्होंने कभी गंभीरता नहीं दिखाई और नर्मदा के पानी से गुजरात के लोगों को वंचित रखा। इसका एक कारण यह भी था कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकारों को यह लगता था कि इससे उन्हें 'नुकसान' हो सकता हैं। 

कांग्रेस सरकारों ने गुजरात को वर्षों तक सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई पर बैठकर नर्मदा के पानी से वंचित रखा क्योंकि पड़ोसी राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार को लगा कि वे 'नुकसान' में हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि नर्मदा का पानी सिंचाई और पीने के पानी के साथ-साथ उनके राज्यों में भी बिजली पहुंचाएगा। आखिरकार, जून 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक महीने बाद इस परियोजना को नया जीवन मिला और मई 2017 में, नर्मदा का पानी कच्छ में पहुंच गया। हैरानी की बात यह है कि जिस परियोजना की नींव 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी, उसका उद्घाटन जून 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। यह राजकोट के लोगों के लिए भी बहुत खुशी की बात थी। सरदार सरोवर बांध गुजरातियों के दिलों में एक विशेष भावनात्मक स्थान रखता है पर ऐसा क्यों? दरअसल 2012 में, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने पूरे गुजरात में नर्मदा बांध से 115 बांधों को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति करने के लिए 'SAUNI’(सौराष्ट्र नर्मदा अवतार सिंचाई) योजना शुरू की थी। कांग्रेस ने दशकों तक गुजरात को प्यासा रखा। वहीं मेधा पाटकर के आंदोलनों से भी इसमें विलंब हुआ। 

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कांग्रेस मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में वोट बैंक को नुकसान ना हो जाए इस कारण इस परियोजना पर बढ़ने से डरती थी। खुद नरेंद्र मोदी कई बार इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर चुके थे। 1987 में विश्व बैंक के समर्थन से बांध का निर्माण शुरू हुआ था पर बाद में इसे रोक दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि विश्व बैंक ने बांध के निर्माण में लगने वाले फंड को रोक दिया। नरेंद्र मोदी की अपील पर गुजरात के मंदिरों ने इसके निर्माण के लिए फंड जुटाया। यही कारण है कि गुजरात के लोग इससे काफी लगाव रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के डभोई में नर्मदा नदी पर बने 138 मीटर लंबे सरदार सरोवर बांध का 2017 में बहुप्रतीक्षित उद्घाटन किया। आंदोलनकारियों के विरोध के बावजूद भी इसका निर्माण होना एक प्रकार से मील का पत्थर था। 121.92 मीटर से 138.68 मीटर की ऊंचाई में इस वृद्धि ने बांध की भंडारण क्षमता को 4.73 मिलियन एकड़ फीट तक बढ़ा दिया है।

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सरदार सरोवर बांध परियोजना 18.45 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है। इसमें गुजरात के 15 जिलों के 73 तालुका के 3,112 गांव शामिल हैं। सिंचाई सुविधाओं के अलावा, 28 करोड़ की वर्तमान आबादी और वर्ष 2021 तक 40 मिलियन से अधिक की संभावित आबादी के लिए गुजरात के भीतर और बाहर के 173 शहरी केंद्रों और 9490 गांवों को 0.86 MAF पीने का पानी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा, बांध पर दो पावर स्टेशन भी हैं - रिवर बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस। रिवर बेड पावर हाउस की स्थापित क्षमता 1,200 मेगावाट है, जबकि कैनाल हेड पावर हाउस की क्षमता 250 मेगावाट है। इन बिजलीघरों से उत्पन्न बिजली को तीन राज्यों- मध्य प्रदेश में 57 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 27 और गुजरात में 16 प्रतिशत द्वारा साझा किया जाता है। यह बांध बाढ़ को रोकने में भी कारगर साबित होगा। ऐसे में जाहिर सी बात है कि सरदार सरोवर बांध से गुजरातियों को बेहद मुहब्बत रहेगी और प्रधानमंत्री का वहां जन्मदिन मनाना उनके लिए किसी कीमती तोहफे से कम नही है। 

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