लद्दाख के बाद दार्जिलिंग को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की उठी मांग

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[email protected] । Aug 6 2019 2:31PM

केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव सोमवार को पेश किया।

कोलकाता। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने और जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले के बाद यहां के प्रमुख पर्वतीय दल चाहते हैं कि दार्जिलिंग को भी विधानसभा के साथ अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाया जाना चाहिए। दार्जिलिंग से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पर्वतीय क्षेत्र में ‘‘स्थायी राजनीतिक समाधान’’ का पार्टी का वादा 2024 तक हकीकत बनेगा। वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पश्चिम बंगाल के दो हिस्सों में विभाजन के किसी भी कदम का वह विरोध करेगी। केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव सोमवार को पेश किया।

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भाजपा का समर्थन करने वाले बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के धड़े ने कहा कि भाजपा को पर्वतीय क्षेत्र में स्थायी राजनीतिक समाधान के अपने चुनावी वादे को पूरा करना चाहिए। अलग राज्य की मांग को लेकर कुछ दशकों से क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि ने पार्टी प्रमुख गुरुंग का हवाला देते हुए कहा कि हमलोग कई साल से अलग गोरखालैंड राज्य की मांग कर रहे हैं। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसके स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा किया था। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि क्षेत्र को विधानसभा के साथ केंद्र शासित क्षेत्र बनाने का यह उपयुक्त समय है। इस पर हमलोग जल्द आंदोलन शुरू करेंगे।

जीएनएलएफ के नेता एन वी छेत्री ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘अलग राज्य की मांग में लंबी प्रक्रिया हो सकती है लेकिन हमारा मानना है कि विधानसभा के साथ केंद्र शासित क्षेत्र सभी पक्षकारों को स्वीकार्य होगा।’’ भाजपा सांसद बिष्ट ने कहा कि वह पर्वतीय दलों के विचारों का सम्मान करते हैं। इस संबंध में किसी समाधान पर पहुंचने से पहले सभी के विचार पर चर्चा की जायेगी। बिष्ट ने कहा कि मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि भाजपा स्थायी राजनीतिक समाधान के अपने वादे को पूरा करेगी। राज्य में भाजपा के कई नेताओं ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र सरकार दशकों पुरानी इस समस्या का समाधान करेगी।

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तृणमूल का समर्थन करने वाले धड़े ने विधानसभा के साथ केंद्र शासित क्षेत्र के मांग को खारिज किया और कहा कि भाजपा ने पिछले 10 साल से पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को ‘‘अलग राज्य का लॉलीपॉप दिखाकर’’ मूर्ख बनाया है। तृणमूल का समर्थन करने वाले जीजेएम के धड़े के नेता बिनय तमांग ने कहा कि न तो भाजपा और न ही बिमल गुरुंग यहां की जनता की समस्या को लेकर गंभीर हैं। वे सिर्फ अपने राजनीतिक मकसद के लिये उनका इस्तेमाल करना चाहते हैं। तृणमूल के वरिष्ठ नेता गौतम देब ने कहा कि वह राज्य के बंटवारे का कभी समर्थन नहीं करेंगे। मंत्री ने कहा कि भाजपा की नीति बांटो, तोड़ो और राज करो की रही है। लेकिन बंगाल में हम इसे कभी नहीं होने देंगे।

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