NRC मसौदे पर बोले गृह मंत्री राजनाथ सिंह, यह निष्पक्ष है, घबराने की जरुरत नहीं

NRC is fair, does not need to panic: Rajnath Singh
[email protected] । Jul 30 2018 2:54PM

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा पूरी तरह ‘‘निष्पक्ष’’ है और जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा।

नयी दिल्ली। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा पूरी तरह ‘‘निष्पक्ष’’ है और जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा। गृह मंत्री ने यह टिप्पणी तब की है जब आज प्रकाशित हुए एनआरसी के मसौदे में राज्य के करीब 40 लाख निवासियों के नाम शामिल नहीं हैं। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘किसी के भी खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसलिए किसी को भी घबराने की जरुरत नहीं है।’’ 

सिंह ने कहा कि अगर किसी का नाम अंतिम सूची में शामिल नहीं है तो वह विदेशी न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह से निष्पक्ष रिपोर्ट है। कोई भी गलत सूचना नहीं फैलानी चाहिए। यह एक मसौदा है ना कि अंतिम सूची।’

बाद में लोकसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में 40 लाख लोगों का नाम नहीं होने का मुद्दा उठाया और इसे अमानवीय एवं मानवाधिकार के खिलाफ कदम बताया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह काम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो रहा है और सभी को अपनी नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा पूरी तरह निष्पक्ष है और जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि जहां तक एनआरसी का सवाल है, ऐसा नहीं है कि यह हमारी सरकार आने के बाद हुआ हो। पहले भी असम के लोगों की मांग रही है।

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ सरकार ने कुछ नहीं किया है, जो कुछ भी हो रहा है, यह उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो रहा है।’’उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये यह कहना कि सरकार असंवेदनशील हो गई है, यह ठीक नहीं है। और इसलिये मैं यह कहूं कि यह आरोप बेबुनियाद हैं, तो यह गलत नहीं होगा।’’ सिंह ने कहा कि यह सूची अंतिम एनआरसी नहीं है। अभी 2.89 करोड़ लोगों की एनआरसी प्रकाशित हुई है। इस बारे में जिनके नाम नहीं हैं, उन्हें दावा और अपनी आपत्ति दर्ज कराने का पर्याप्त अवसर मिलेगा।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों को लगता है कि उनका नाम नहीं है, होना चाहिए, वे दावा कर सकेंगे। इस उद्देश्य के लिये प्रक्रियाएं तय होंगी और मामलों का निपटारा होगा। इसके बाद भी विदेशी न्यायाधिकरण में जाने का मौका मिलेगा। गृह मंत्री ने कहा कि इस विषय पर घबराहट की जरूरत नहीं है। इस विषय पर गृह मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर जब कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल और राजद आदि के सदस्यों ने सरकार को घेरने का प्रयास किया तब सिंह ने कहा कि वह एक बार फिर दोहराते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है, जो कुछ भी हो रहा है, वह उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में आप ही निर्धारित करें कि हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

सिंह ने कहा कि इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दे को अनावश्यक राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, राजद और सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले, शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि असम में एनआरसी में 40 लाख से अधिक लोगों के नाम हटा दिये गए हैं। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में लोग कहां जायेंगे। यह अमानवीय कार्य है। उन्होंने कहा कि वह गृह मंत्री और केंद्र सरकार से इस विषय पर संज्ञान लेने और नये सिरे से समीक्षा करने की मांग करते हैं ताकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को न्याय मिल सके।

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि ये नाम उद्देश्यपूर्वक हटाये गए हैं। यह 40 लाख लोगों के मताधिकार और रहने के विषय से जुड़ा मामला है। इस विषय पर गृह मंत्री संज्ञान लें। इस विषय पर सदन में अलग से चर्चा भी करायी जाए। माकपा के मो. सलीम ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है और इस विषय पर संजीदगी से विचार किया जाना चाहिए। धर्म और भाषा के आधार पर नागरिकता के विषय को देखना ठीक नहीं है। 40 लाख लोगों को राज्यविहीन बनाया जाना ठीक नहीं है।

राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि यह मानवाधिकार और मानवता से जुड़ा विषय है और 40 लाख लोगों को न्याय मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का बहु-प्रतीक्षित दूसरा एवं आखिरी मसौदा 2.89 करोड़ नामों के साथ आज जारी कर दिया गया है। एनआरसी में शामिल होने के लिए असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था। इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरम्यानी रात जारी किया गया था। 

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