ओडिशा सरकार का दावा, चक्रवात के कारण राज्य में नहीं हुई किसी की मौत
अधिकारी ने बताया कि ये तथ्य है कि 19 मई को चार वर्षीय बच्चे और 67 साल की एक महिला की मौत हुई लेकिन उन दोनों की मौत चक्रवात के कारण नहीं हुई। भद्रक के जिलाधिकारी ज्ञानरंजन दास और केंद्रपाड़ा के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने बताया कि वे खुद दोनों घरों में गए थे।
दास ने बताया, ‘‘हां मैं भद्रक के तिहडी प्रखंड में बच्चे के घर गया था। लेकिन मैंने देखा कि घर की दीवारें सुरक्षित थी और उन्हें नुकसान नहीं हुआ था। ऐसा कहा गया था कि चक्रवात के कारण बच्चे की मौत हुई लेकिन तथ्यों को देखते हुए मैं इससे सहमत नहीं हूं। ’’ वर्मा ने कहा कि पक्का मकान होने के कारण घर को कोई नुकसान नहीं हुआ। महिला की मौत स्वाभाविक तौर पर हुई। बहरहाल, दोनों जिलाधिकारियों ने कहा कि मामले में वे पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आपदा से निपटने की रणनीति बनाते समय राज्य सरकार ने तय किया था कि ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है कि एक भी व्यक्ति की मौत न हो। अधिकारियों ने बताया कि यह पहला मौका है जब चक्रवात के कारण राज्य में किसी की मौत नहीं हुई।Undertook an aerial survey of #CycloneAmphan affected areas in #Odisha. The cyclone has severely damaged houses, standing crops, electrical infrastructure and uprooted trees in many districts. Steps are being taken up on a war footing to restore normalcy. pic.twitter.com/u230DiMNKK
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) May 21, 2020
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नवीन पटनायक सरकार ने 20 साल के अपने कार्यकाल में छह चक्रवात - फेलिन (2013), हुदहुद (2014), तितली (2018), फोनी और बुलबुल (2019) और अम्फान का सामना किया है। पटनायक 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इससे एक साल पहले ही राज्य ने भीषण चक्रवात का सामना किया था जिसमें 10,000 लोगों की मौत हो गयी थी और बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी। पूर्व मुख्य सचिव ए पी पाधी ने बताया कि कार्यभार संभालने के तुरंत बाद पटनायक ने ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) का गठन किया और चक्रवात तथा बाढ़ जैसी आपदा से जूझने के लिए खाका तैयार किया। मुख्य सचिव ए के त्रिपाठी ने बताया कि भारत मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर राज्य सरकार ने सारी तैयारियां की जिसके कारण जान के नुकसान को बचाया गया। त्रिपाठी ने कहा, ‘‘खतरे वाले और निचले क्षेत्रों से हमने दो लाख लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। इससे लोगों की जान बचाने में मदद मिली।
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