UN की भूमिका पर मोदी ने उठाए सवाल, कहा- व्यवस्थाओं में बदलाव आज समय की मांग है
मोदी ने कहा कि भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। पर अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों और हमलों में, जो मारे गए वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़ कर चले गए। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?
मोदी ने कहा कि भारत के लोग UN के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगा। कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा। मोदी ने कहा कि भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।As the largest vaccine producing country in the world, I want to give one more assurance to the global community today. India’s vaccine production and delivery capacity will be used to help all humanity in fighting this crisis: PM Modi#ModiAtUN https://t.co/vxf6FlclOS
— ANI (@ANI) September 26, 2020
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को इस बात का बहुत गर्व है कि वो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक देशों में से एक है। आज के इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं आप सभी के सामने भारत के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं इस वैश्विक मंच पर साझा करने आया हूं। पर आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में सुधार की भारत की मांग को पुरजोर तरीके से उठाते हुए इसे समय की मांग बताया और सवाल उठाया कि आखिरकार विश्व के सबसे बड़े इस लोकतंत्र को इस वैश्विक संस्था की निर्णय प्रक्रिया से कब तक अलग रखा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस वैश्विक मंच के माध्यम से भारत ने हमेशा ‘‘विश्व कल्याण’’ को प्राथमिकता दी है और अब वह अपने योगदान को देखते हुए इसमें अपनी व्यापक भूमिका देख रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं प्रकट हुए मोदी ने कहा कि विश्व कल्याण की भावना के साथ संयुक्त राष्ट्र का जिस स्वरुप में गठन हुआ वह उस समय के हिसाब से ही था जबकि आज दुनिया एक अलग दौर में है। उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, हमारे भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां कुछ और हैं। इसलिए पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है।’’
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प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सभी बदल जाएं और ‘‘हम ना बदलें’’ तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। उन्होंने आतंकवाद और कोरोना के खिलाफ जंग में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधारों को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी अपने निर्णायक मोड़ तक पहुंच पाएगी। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय प्रक्रिया के ढांचे से अलग रखा जाएगा।’’
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मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधारा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है। उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरे विश्व को एक परिवार मानता है और यह उसकी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है।
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