एक बार फिर ब्रज की होली की अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेगी: योगी

Once again, Braj will become the international identity of Holi: Yogi
[email protected] । Feb 24 2018 6:22PM

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरसाना की होली के अवसर पर ऐलान किया कि ब्रज की होली की अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि अब हर वर्ष देश का एक राज्य और दुनिया का कोई एक देश इस होली के साथ सहभागी बनेगा।

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरसाना की होली के अवसर पर ऐलान किया कि ब्रज की होली की अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि अब हर वर्ष देश का एक राज्य और दुनिया का कोई एक देश इस होली के साथ सहभागी बनेगा। वे लठमार होली के अवसर पर बरसाना के प्रिया कुण्ड के समीप आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी यही मंशा है। मैं उन्हीं का संदेश लेकर आपके बीच आया हूं। हम इसको अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही इसको प्रतिष्ठा दिलाएं और उसी रूप में लेकर चलें।’’ 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आम बजट में कृष्णा सर्किट स्थापित किए जाने की बात की थी। यह उसी योजना को आगे ले जाने की बात है। भगवान कृष्ण देश के जिन-जिन क्षेत्रों में गए थे, उनको न केवल जोड़ने की दृष्टि से, बल्कि उसका हर दृष्टि से विकास करने के लिए तीर्थ विकास परिषद का गठन कर अपेक्षित धनराशि की व्यवस्था की गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ब्रज के सभी जनप्रतिनिधि मथुरा के वृन्दावन, बरसाना, नन्दगांव, गोवर्धन, राधाकुण्ड, गोकुल, बलदेव को तीर्थस्थल घोषित करने की मांग करते थे, आज मैं सरकार की ओर से इन सभी नगरों को तीर्थस्थल घोषित करता हूं। इनमें से वृन्दावन व बरसाना तो पहले ही घोषित किए जा चुके हैं।’’ योगी ने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, सरकार पूरे 84 कोस परिक्रमा के विकास की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए बजट में बाकायदा 100 करोड़ का इंतजाम किया गया है और 100 करोड़ सीएसआर से जुटाए जा रहे हैं।’’ 

मुख्यमंत्री ने भगवान कृष्ण का हरियाणा से भी संबंध जोड़ते हुए भविष्य में एक परिपथ कुरुक्षेत्र से मथुरा तक बनाने की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने अगले वर्ष पूर्वोत्तर के लोगों को भी बरसाना की होली से जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर और अरुणाचल के लोगों का मानना है कि कृष्ण उनके यहां से ही रुक्मणि को लेकर गए थे। वे उनके यहां की ही थीं। इस सांस्कृतिक परम्परा को और आगे बढ़ाने की जरूरत है।’’ 

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