विपक्षी दलों ने राजनीतिक बाध्यताओं के कारण सत्र के अंतिम दिन बहिष्कार किया: बिरला
बिरला ने यह भी बताया कि सत्र की अवधि को कम करने का निर्णय कोविड-19 से उत्पन्न खतरे को ध्यान में रखते हुए सर्वसम्मति से लिया गया। गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हुआ और निर्धारित कार्यक्रम से 8 दिन पहले 23 सितंबर को समाप्त हो गया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बुधवार को सम्पन्न संसद के मानसून सत्र को लेकर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही हमारे लोकतन्त्र के प्रतिबिंब हैं और इस सत्र के दौरान संसद की दोनों सभाओं में व्यापक विषयों पर वाद-विवाद और चर्चाएँ हुई। बिरला ने कहा कि कोविड-19 महामारी के खतरों के बीच सभी राजनीतिक दलों और सदस्यों के सहयोग से लोकसभा की उत्पादकता 167 प्रतिशत रही जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोविड-19 महामारी के खतरे के बावजूद इस सत्र के दौरान संसद सदस्यों की औसत उपस्थिति काफी अधिक रही जो देश के लिए सकारात्मक संदेश है और जिससे लोगों की लोकतान्त्रिक संस्थाओं में आस्था मजबूत हुई है।The cooperation extended by all members of the House, political parties and government, led to an efficient Session where our productivity was 167% which is historic in itself: Lok Sabha Speaker Om Birla https://t.co/G4k1AMeIuR
— ANI (@ANI) September 25, 2020
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उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा ने 37 घंटों के निर्धारित समय की तुलना में 60 घंटे बैठककी। कोविड -19 के कारण सत्र की बैठकों में कटौती किए जाने के बावजूद उत्पादकता में कमी लाए बिना लोकसभा में अधिकाधिक कार्य हुआ। उन्होने शून्यकाल और अन्य विधायी कार्यों के दौरान सदस्यों की अधिकाधिक भागीदारी के बारे में भी बताया। बिरला ने यह भी बताया कि सत्र की अवधि को कम करने का निर्णय कोविड-19 से उत्पन्न खतरे को ध्यान में रखते हुए सर्वसम्मति से लिया गया। गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हुआ और निर्धारित कार्यक्रम से 8 दिन पहले 23 सितंबर को समाप्त हो गया।
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