शत्रु संपत्ति पर अध्यादेश चौथी बार लागू किया गया
‘शत्रु संपत्ति’ का मतलब किसी भी ऐसी संपत्ति से है जो किसी शत्रु, शत्रु व्यक्ति या शत्रु फर्म से संबंधित, उसकी तरफ से संघटित या प्रबंधित हो।
केंद्र ने शत्रु संपत्ति से संबंधित लगभग 50 साल पुराने कानूनों में संशोधन से संबंधित अध्यादेश को चौथी बार लागू किया है। संशोधन विभिन्न युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन जा चुके लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों से संबंधित है। ‘शत्रु संपत्ति’ का मतलब किसी भी ऐसी संपत्ति से है जो किसी शत्रु, शत्रु व्यक्ति या शत्रु फर्म से संबंधित, उसकी तरफ से संघटित या प्रबंधित हो। सरकार ने इन संपत्तियों को भारत के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक के अधिकारक्षेत्र में दे दिया है। शत्रु संपत्ति सरंक्षक एक ऐसा कार्यालय है जिसकी स्थापना केंद्र सरकार के अधीन हुई।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून लागू किया गया था जो इस तरह की संपत्तियों को नियमित करता है और संरक्षक की शक्तियों को सूचीबद्ध करता है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधीकरण) चतुर्थ अध्यादेश 2016’ को मंजूरी दे दी और इसे रविवार को अधिसूचित किया गया। पहला अध्यादेश एक जनवरी को जारी किया गया था और दूसरा अध्यादेश दो अप्रैल को जारी किया गया। राष्ट्रपति ने तीसरा अध्यादेश 31 मई को लागू किया था और यह रविवार को खत्म हो गया। अध्यादेश की जगह लेने के लिए इसे चौथी बार लागू करना इसलिए आवश्यक था क्योंकि ‘शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधीकरण) विधेयक 2016’ राज्यसभा में लंबित है। इसे मई में जारी लगातार तीसरे आदेश की निरंतरता की वजह से भी लागू करना आवश्यक था।
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