पाक PM पर भारत का तीखा प्रहार, कहा- झूठ परोस रहे हैं इमरान खान

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[email protected] । Dec 18 2019 9:52AM

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खान ने भारत के बिल्कुल अंदरूनी मामलों में अनावश्यक और अवांछित टिप्पणियां की हैं तथा अपने ‘संकीर्ण’ राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय मंच पर एक बार फिर ‘पहले की भांति झूठ’ का प्रचार किया है।

नयी दिल्ली। भारत ने एक वैश्विक शरणार्थी सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा दिये गये इस बयान को मंगलवार को ‘बहुत बड़ा झूठ’ करार दिया कि कश्मीर में ‘कठोर कार्रवाई’ और संशोधित नागरिकता कानून के चलते लाखों मुसलमान भारत से भाग सकते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खान ने भारत के बिल्कुल अंदरूनी मामलों में अनावश्यक और अवांछित टिप्पणियां की हैं तथा अपने ‘संकीर्ण’ राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय मंच पर एक बार फिर ‘पहले की भांति झूठ’ का प्रचार किया है।

जिनेवा में वैश्विक शरणार्थी मंच पर अपने संबोधन में खान ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और संशोधित नागरिकता कानून बनाने को लेकर भारत की कड़ी आलोचना की। कुमार ने कहा, ‘‘ अब पूरी दुनिया के लिए बिल्कुल स्पष्ट हो जाना चाहिए कि वैश्विक मंच पर खान द्वारा आदतन और जबरन गालियां देना एक ढर्रा बन गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के ज्यादातर पड़ोसियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव रहा है कि उसकी हरकतों का पड़ोसियों पर बहुत बुरा असर रहा है।’’ ‘‘इक्कीसवीं सदी में शरणार्थियों पर वैश्विक शरणार्थी मंच’’ नामक इस पहली बैठक का आयोजन यूएनएचसीआर, यूएन शरणार्थी एजेंसी और स्विटरजरलैंड सरकार ने संयुक्त रूप से किया। 

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नागरिकता कानून की खान द्वारा आलोचना को खारिज करते हुए कुमार ने कहा, ‘पिछले 72 सालों से पाकिस्तान इस्लामिक गणराज्य ने सुनियोजित ढंग से अपने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया है, फलस्वरूप उनमें से ज्यादातर बाध्य होकर भारत भाग आये।’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, प्रधानमंत्री खान चाहते हैं कि उनकी सेना ने 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर क्या किया, उसे दुनिया भूल जाए। पाकिस्तान को अपने अल्पसंख्यकों और वहां रहने वाले अन्य धर्म के लोगों के अधिकारों की रक्षा एवं उनके संवर्धन के लिए काम करना चाहिए।’ संशोधित नागरिकता कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी जो धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आ चुके हैं।

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