आतंकवाद का समर्थन बिल्कुल बंद करे पाक: मोदी
मोदी ने कहा है कि भारत-पाक संबंध ‘‘वास्तव में बहुत ज्यादा ऊंचाइयों पर पहुंच’’ सकते हैं, बशर्ते पाकिस्तान ‘‘अपनी ही बनाई हुई’’ आतंकवाद की बाधा को हटा दे।
वाशिंगटन। प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने इस्लामाबाद से किसी भी तरह के आतंकवाद पर पूरी तरह रोक लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभाने की अपील करते हुए कहा है कि भारत-पाक संबंध ‘‘वास्तव में बहुत ज्यादा ऊंचाइयों पर पहुंच’’ सकते हैं, बशर्ते पाकिस्तान ‘‘अपनी ही बनाई हुई’’ आतंकवाद की बाधा को हटा दे, बेशक वह राज्य प्रायोजित हो अथवा सरकार से इतर। प्रधानमंत्री मोदी ने आज ‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ की वेबसाइट पर टिप्पणियां पोस्ट करते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यदि पाकिस्तान खुद की थोपी हुई आतंकवाद की बाधा को हटा दे तो हमारे संबंध वास्तव में बहुत ज्यादा ऊंचाइयां हासिल कर सकते हैं।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘हम पहला कदम उठाने के लिए तैयार हैं लेकिन शांति की राह अब एक दोतरफा मार्ग है।’’ मोदी ने कहा कि उन्होंने हमेशा यह कहा है कि एक-दूसरे से लड़ने के बजाय भारत और पाकिस्तान को मिलकर गरीबी के खिलाफ लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘स्वाभाविक तौर पर हम चाहते हैं कि पाकिस्तान अपनी भूमिका निभाए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘लेकिन आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं हो सकता। यह तभी रूक सकता है, जब आतंकवाद को दिया जाने वाला हर प्रकार का समर्थन बंद किया जाए, फिर चाहे वह सरकार प्रायोजित आतंकवाद हो या सरकारेतर आतंकवाद।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को सजा देने की दिशा में प्रभावी कदम उठा पाने की पाकिस्तान की विफलता हमारे संबंधों की प्रगति को सीमित करती है।’’ मोदी ने कहा कि एक शांतिपूर्ण एवं खुशहाल पड़ोस के उनकी सरकार के सक्रिय एजेंडे की शुरूआत उनकी सरकार के पहले दिन से हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा है कि जो भविष्य मैं भारत के लिए चाहता हूं, वैसे ही भविष्य का सपना मैं अपने पड़ोसियों के लिए भी देखता हूं। मेरी लाहौर यात्रा इसी विश्वास का स्पष्ट संकेत था।’’
भारत की दशकों पुरानी गुट निरपेक्ष नीति में बदलाव की बात को खारिज करते हुए मोदी ने कहा कि सीमा विवाद के बावजूद चीन के साथ कोई झड़पें नहीं हुई हैं। उन्होंने पिछली सदी से इतर आज के ‘अंतरनिर्भरता वाले विश्व’ के इस ‘नए तरीके’ को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की गुट निरपेक्ष नीति को बदलने की कोई वजह नहीं है। यह एक विरासत है और यह मौजूद रही है। लेकिन यह सच है कि पहले की तुलना में आज भारत एक कोने पर नहीं खड़ा। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्र में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह अवगत हैं।’’ भारत के गुट निरपेक्ष आंदोलन पर मोदी का महत्वपूर्ण बयान चीन की आक्रामकता के सवाल के जवाब में आया है। भारत की इस नीति को अब कई लोग रणनीतिक स्वायत्तता की संज्ञा देते हैं। उनसे पूछा गया था, ‘‘अमेरिका भारत को लेकर बहुत उत्सुक है। भारत जो एक उभरती शक्ति है। उसके साथ गठबंधन नहीं तो कम से कम उसके साथ एक समूह बनाने का तो इच्छुक है ही, जो कुछ हद तक चीन का मुकाबला कर सकता है। आप वैश्विक मंच पर भारत को कौन सा रूख अख्तियार करते हुए देखते हैं?’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारी आज चीन से कोई लड़ाई नहीं है। हमारा सीमा को लेकर एक विवाद है लेकिन कोई तनाव या झड़पें नहीं हैं। जनता का जनता के साथ संपर्क बढ़ा है। व्यापार बढ़ा है। भारत में चीनी निवेश बढ़ा है। चीन में भारत का निवेश बढ़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीमा विवाद के बावजूद कोई झड़पें नहीं हुई हैं। पिछले 30 साल में एक भी गोली नहीं चली है।’’
चीन के साथ भारत के संबंधों पर मोदी ने कहा, ‘‘तो जो आम धारणा चलती है, वह वास्तविकता नहीं है।’’ मोदी चीन की ‘मैरीटाईम सिल्क रोड’ पहल की सराहना करते नजर आए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि दुनिया को चीन से इस पहल के बारे में और ज्यादा जानना चाहिए, खासतौर पर इसके प्रयोजन और लक्ष्य के बारे में।’’ हिंद महासागर के तट पर बसे देशों के साथ भारत के शानदार संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले बदलावों के प्रति भारत की एक स्वाभाविक एवं तत्कालिक रुचि है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत हिंद महासागर क्षेत्र में प्रमुख सुरक्षा प्रदाता है। इसलिए हम इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को प्रभावित कर सकने वाले किसी भी बदलाव को सावधानी के साथ देखते हैं।’’
अमेरिका के साथ भारत के संबंधों के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों के कई मूल्य मेल खाते हैं। अगले माह होने जा रही अपनी अमेरिका यात्रा के संबंध में मोदी ने कहा, ‘‘हमारी मित्रता बरकरार रही है, फिर चाहे वहां रिपब्लिकन सरकार रही हो या डेमोक्रेटिक। यह सच है कि ओबामा और मेरी एक खास मित्रता है..एक खास समझ है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों से इतर चाहे ग्लोबल वार्मिंग की बात हो या आतंकवाद की, हमारे विचार एकसमान हैं, इसलिए हम एकसाथ काम करते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन भारत किसी तीसरे देश के संदर्भ में अपनी नीतियां नहीं बनाता है और न ही उसे बनानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में चाहे रिपब्लिकन प्रशासन रहा हो या डेमोक्रेटिक, भारत और अमेरिका के बीच के संबंध गर्मजोशी से भरे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो साल में राष्ट्रपति ओबामा और मैंने इस गति का नेतृत्व किया है। हम हमारे रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक अवसरों और जनता से जनता के संपर्क की पूर्ण क्षमता और स्तर को हासिल कर रहे हैं। हमारे संबंध बेल्टवे और साउथ ब्लॉक से परे जा चुके हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी चिंताएं और खतरे एकसमान हैं। आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसी साझी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी साझेदारी विकसित हो रही है। हमारा विकसित होता हुआ मजबूत रक्षा सहयोग भी है। हमारा लक्ष्य क्रेता-विक्रेता के संबंध से आगे बढ़कर एक मजबूत निवेश और उत्पादन साझेदारी विकसित करने का है।’’
मोदी ने कहा कि पिछली सदी में जहां विश्व दो खेमों में बंटा हुआ था, अब ऐसा नहीं है। ‘‘आज पूरा विश्व अंतरनिर्भर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप चीन और अमेरिका के बीच के संबंध को भी देखेंगे तो पाएंगे कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां व्यापक मतभेद हैं लेकिन ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहां वे मिलकर काम कर रहे हैं।’’ ‘‘यह एक नया तरीका है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम इस अंतरनिर्भर विश्व की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं तो मुझे लगता है देश को सहयोग तो करना ही चाहिए, साथ ही साथ हमें अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के प्रति सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए।’'
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