पलानीस्वामी, स्टालिन ने PM मोदी से की अपील, ओबीसी क्रीमी लेयर में कोई बदलाव नहीं करने को कहा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर लिखे गये अलग-अलग पत्रों में चिर प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और विपक्षी द्रमुक के दोनों नेताओं ने उनसे अनुरोध किया है कि शिक्षा और नौकरी में आरक्षण के लिये तथा कल्याणकारी योजनाओं के लिये लाभार्थियों को तय करने में वेतन और कृषि से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाए।

चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में ‘क्रीमी लेयर’ के मापदंड के निर्धारण में किसी तरह का बदलाव किये जाने का बुधवार को विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह योग्य उम्मीदवारों को आरक्षण के लाभ और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से ‘‘वंचित’’ कर देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर लिखे गये अलग-अलग पत्रों में चिर प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और विपक्षी द्रमुक के दोनों नेताओं ने उनसे अनुरोध किया है कि शिक्षा और नौकरी में आरक्षण के लिये तथा कल्याणकारी योजनाओं के लिये लाभार्थियों को तय करने में वेतन और कृषि से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाए। साथ ही, मौजूदा नीति को जारी रखा जाए। 

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पलानीस्वामी ने मीडिया में आई इन खबरों का जिक्र किया है कि ओबीसी में क्रीमी लेयर के निर्धारण के नियमों की समीक्षा पर केंद्र विचार कर रहा है, जिनमें वेतन एवं कृषि से होने वाली आय को शामिल किया जा सकता है, जबकि ये दोनों चीजें अभी इसके दायरे से बाहर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, ‘‘आरक्षण देने और कल्याणकारी योजनाओं के लिये ये (वेतन एवं कृषि से आय) ओबीसी में क्रीमी लेयर के निर्धारण के उद्देश्य के लिये आय का हिसाब लगाने के दायरे से अभी बाहर हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि माता-पिता के वेतन और कृषि से होने वाली आय को कुल आय का हिस्सा बनाया जाता है तो यह कई योग्य उम्मीदवारों को नौकरियों में आरक्षण प्राप्त करने और केंद्र सरकार के तहत कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से वंचित कर देगा। विधानसभा में विपक्ष के नेता स्टालिन ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक मापदंड आरक्षण की भावना के खिलाफ गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि इसने आरक्षण के सबंध में हमारे संविधान में जगह नहीं पाई। हम शुरूआत से ही क्रीमी लेयर का विरोध करते रहे हैं।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री से इस फैसले को प्राथमिकता के आधार पर पलटने और ओबीसी की आजीविका का संरक्षण सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। साथ ही, वह मेडिकल एवं डेंटल दाखिले में तथा एनईईटी में ऑल इंडिया कोटा का उन्मूलन भी चाहते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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