LoC पर शहीद हुए भारत के वीर पुत्र को भावभीनी विदाई
जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान से आतंकवादियों के घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करने के अभियान के दौरान शहीद हुए मेजर कौस्तुभ राणे को आज हजारों लोगों ने अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी।
ठाणे। जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान से आतंकवादियों के घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करने के अभियान के दौरान शहीद हुए मेजर कौस्तुभ राणे को आज हजारों लोगों ने अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। जब फूलों से सजा सेना का ट्रक शहीद मेजर के पार्थिव शरीर को लेकर उनके मीरा रोड स्थित आवास से शमशान की ओर जा रहा था तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए सड़कों पर लोग लाइनों में खड़े थे। लोग शहीद को फूल चढ़ा कर अंतिम विदा दे रहे थे।
अंतिम यात्रा पर निकला सैनिक एक ताबूत में गहरी नींद में सोया था, जिसके ऊपर तिरंगा लिपटा हुआ था। उसकी अंतिम यात्रा के दौरान पूरा रास्ता पीले फूलों से पट सा गया था। शहीद को विदा देते हुए आज फूलों की अंतिम इच्छा भी पूरी हो रही थी कि मुझे देश पर मरने वालों के चरणों में चढ़ा देना। मुंबई के बाहर स्थित पूरा मीरा रोड अपने बहादुर बच्चे के शहीद होने से दुखी और शोकाकुल था।
उत्तरी कश्मीर के गुरेज सेक्टर में दो दिन पहले घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करते हुए मेजर राणे और तीन अन्य सैनिक शहीद हो गये थे। इस अभियान में कम से कम दो आतंकवादी भी मारे गये थे। पूरे सैनिक सम्मान के साथ राणे का अंतिम संस्कार हुआ। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गयी और पूरा शमशान घाट ‘वंदे मातरम’, ‘भारत माता की जय’ और ‘मेजर कौस्तुभ राणे अमर रहे’ के नारों से गूंज उठा।
आंखों में आंसू लिऐ अपने बहादुर बेटे को अंतिम विदाई देने आयी लोगों की भीड़ के कारण शमशान में कुछ देर के लिए अफर-तफरी का माहौल रहा। राणे के परिवार को लोगों से शांत रहने का अनुरोध करना पड़ा। पति को अंतिम विदाई देने अपने ढाई साल के बच्चे अगस्त्य के साथ आयी कनिका जार-जार रो रही थीं। राणे की बहनों ने अंतिम बार अपने भाई को राखी बांधने की इच्छा पूरी करते हुए मेजर की चिता पर राखियां रखीं जबकि उनके माता-पिता ने अपने बेटे की अंतिम यात्रा के लिए उनके पसंदीदा चॉकलेट चिता पर रखे।
शहीद मेजर को उनके पिता ने मुखाग्नि दी। लोग अंतिम संस्कार देखने के लिए पेड़ों पर चढ़ गये, पास की इमारतों की छत पर चढ गये। स्थानीय नेताओं के अलावा दक्षिणी पश्चिमी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन सहित सेना के तमाम वरिष्ठ अधिकारी इस अंतिम समय में मौजूद थे।
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