भीड़ हत्या में शामिल लोग खुद को राष्ट्रवादी नहीं कह सकते: वेंकैया नायडू

people-involved-in-mob-assassination-can-not-call-themselves-a-nationalist-says-venkaiah-naidu
[email protected] । Sep 9 2018 2:44PM

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि घृणा और भीड़ हत्या जैसे मामलों में लिप्त लोग खुद को राष्ट्रवादी नहीं कह सकते हैं।

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि घृणा और भीड़ हत्या जैसे मामलों में लिप्त लोग खुद को राष्ट्रवादी नहीं कह सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को रोकने के लिये सिर्फ कानून पर्याप्त नहीं है बल्कि सामाजिक व्यवहार में बदलाव लाना भी बहुत जरूरी है। उपराष्ट्रपति ने भीड़ हत्या जैसी घटनाओं के राजनीतिकरण पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को राजनीतिक दलों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक बदलाव (की जरूरत है)। यह (भीड़ हत्या) इस पार्टी या उस पार्टी की वजह से नहीं है। जैसे ही आप इन्हें दलों से जोड़ते हैं, मुद्दा खत्म हो जाता है। बेहद स्पष्ट तरीके से बता दूं कि यही हो रहा है।’’ घृणा और भीड़ हत्या की घटनाओं के बारे में सवाल करने पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह कोई नया चलन नहीं है, पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं।

एक साक्षात्कार में नायडू ने कहा, ‘‘इसके लिए सामाजिक व्यवहार को बदलना होगा... जब आप किसी दूसरे की हत्या कर रहे हैं, तो खुद को राष्ट्रवादी कैसे कह सकते हैं। धर्म, जाति, रंग और लिंग के आधार पर आप भेदभाव करते हैं। राष्ट्रवाद, भारत माता की जय का अर्थ बहुत व्यापक है।’’ उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ चीजों से सिर्फ कानून के माध्यम से नहीं निपटा जा सकता। इनपर लगाम लगाने के लिए सामाजिक बदलाव जरूरी है।

पिछले कुछ वर्षों में देश के विभिन्न भागों में हुई भीड़ हत्या की घटनाओं को लेकर सरकार कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के निशाने पर है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में नौ राज्यों में भीड़ हत्या की घटनाओं में 40 लोगों की जान गई है।

नायडू ने कहा, ‘‘जब निर्भया मामला आया, चारों ओर निर्भया कानून की मांग को लेकर कोलाहल था। निर्भया कानून बन गया, लेकिन क्या वे रूके। मैं राजनीति में नहीं पड़ रहा, इन घटनाओं को सबके सामने लाने का राजनीतिक दलों का अपना तरीका है। मेरा कहना है कि इसके लिए सिर्फ एक विधेयक/कानून की जरूरत नहीं है, इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक कौशल की जरूरत है। तब सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सकता है। मैंने संसद में यह कहा था।’’ देश में राष्ट्रवाद को लेकर बहस चल रहे होने की बात करते हुए नायडू ने कहा कि इसकी सही परिभाषा होनी चाहिए और इसे स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जाना चाहिये। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरे अनुसार राष्ट्रवाद या भारत माता की जय का अर्थ 130 करोड़ लोगों की जय है। जाति, पंथ, लिंग, धर्म या क्षेत्र के आधार पर कोई भी भेदभाव राष्ट्रवाद के खिलाफ है।’’ 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़