भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों का विश्वास टूटा, सरकार के पास समग्र नीति नहीं: कांग्रेस
सुप्रिया ने दावा किया, ‘‘ आज पूरे विश्वास से कह सकती हूं कि विकास दर पांच फीसदी नहीं है। अगर निवेश और कर्ज लेना इतना गिर जाए तो इतनी विकास दर की बात सही नहीं है।’’उन्होंने कहा कि यह तब हो रहा है जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को कम किया है यानी कि कर्ज लेना सस्ता हुआ है।
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने वाणिज्यिक क्षेत्र में धन का प्रवाह 88 फीसदी गिर जाने से जुड़ी खबर को लेकर सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास टूट गया है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार कोई समग्र नीति नहीं अपना रही है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी है कि सरकार पहले स्वीकार करे कि अर्थव्यवस्था में दिक्कत है।उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरबीआई की एक रिपोर्ट आई है जो चिंताजनक है। इससे पता चलता है कि आर्थिक मंदी की स्थिति गंभीर है। इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में वाणिज्यिक क्षेत्र में धन का प्रवाह 88 फीसदी कम हुआ है। कहीं न कहीं यह बात साफ है कि आर्थिक गतिविधि थम गई है।’’
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सुप्रिया ने दावा किया, ‘‘ आज पूरे विश्वास से कह सकती हूं कि विकास दर पांच फीसदी नहीं है। अगर निवेश और कर्ज लेना इतना गिर जाए तो इतनी विकास दर की बात सही नहीं है।’’उन्होंने कहा कि यह तब हो रहा है जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को कम किया है यानी कि कर्ज लेना सस्ता हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘रेपो रेट कम होने के बावजूद लोग कर्ज नहीं ले रहे हैं। इसका कारण है कि लोगों का विश्वास कम हुआ है। कमी साफ तौर पर नजर आ रही है लेकिन चीजों को ठीक करने के लिये कोई समग्र नीति नहीं अपनाई जा रही है।’’उन्होंने कहा कि जो आंकड़े सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों का विश्वास टूट गया है।सुप्रिया ने कहा, ‘‘पहले सरकार को स्वीकार करना होगा कि अर्थव्यवस्था में दिक्कत है। इसके बाद समग्र नीति अपनानी होगी। विडंबना यह है कि वित्त मंत्री कहती हैं कि अर्थव्यवस्था में नकदी की कोई समस्या नहीं है।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आखिरकार अर्थव्यवस्था चुनाव का मुद्दा बनेगी।
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