विपक्ष शासित 6 राज्यों के मंत्रियों ने दायर की याचिका, परीक्षाएं स्थगित करने की है मांग

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मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जईई का आयोजन के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा शासित 6 राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि वह छात्रों के ‘जीने के अधिकार’ को सुरक्षित करने में विफल हो गया है और उसने कोविड-19 महामारी के दौरान आने जाने में हो रही दिक्कतों को नजरअंदाज किया है।

नयी दिल्ली। गैर भाजपा शासित छह राज्यों के मंत्रियों ने नीट और जेईई की परीक्षाओं के आयोजन की अनुमति देने के न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार के लिये शुक्रवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि वह छात्रों के ‘जीने के अधिकार’ को सुरक्षित करने में विफल हो गया है और उसने कोविड-19 महामारी के दौरान आने जाने में हो रही दिक्कतों को नजरअंदाज किया है। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 और नीट की सितंबर में होने वाली परीक्षाओं के आयोजन की अनुमति देने का न्यायालय का 17 अगस्त का आदेश अब एक राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना जैसे राजनीतिक दल चाहते हैं कि ये परीक्षायें इस तरह से स्थगित की जायें जिससे छात्रों का शैक्षणिक सत्र बर्बाद नहीं हो और उनके स्वास्थ के साथ भी समझौता नहीं किया जाये। न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करने वाले मंत्रियों में पश्चिम बंगाल के मलय घटक, झारखंड के रामेश्वर ओरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बी एस संधू और महाराष्ट्र के उदय रवीन्द्र सावंत शामिल हैं। अधिवक्ता सुनील फर्नाण्डीज के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का आदेश इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों की सुरक्षा और हिफाजत के प्रति चिंताओं पर विचार करने में असफल रहा है। न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 और नीट-यूजी की सितंबर में होने वाली परीक्षाओं के कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुये 17 अगस्त को कहा था किछात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद नहीं किया जा सकता और जीवन चलते रहना है। 

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इन परीक्षाओं का आयोजन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेन्सी ने 13 सितंबरको नीट की परीक्षा आयोजित करने और इंजीनियरिंग कालेजों और संस्थानों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये एक से छह सितंबर तक जेईई मुख्य परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है। शीर्ष अदालत ने ये परीक्षायें स्थगित करने के लिये सायंतनबिस्वास और अन्य की याचिका खारिज करते हुये कहा था कि छात्रों के शैक्षणिक जीवन को लंबे समय तक जोखिममें नहीं डाला जा सकता। इससे पहले, सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा था कि इन परीक्षाओं के आयोजन के दौरान पूरी सावधानी और सुरक्षा उपाये किये जायेंगे। इन मंत्रियों ने याचिका में परीक्षा कराने के फैसले को तर्कहीन बताते हुये कहा कि शीर्ष अदालत इस तथ्य का संज्ञान लेने में विफल रही कि केन्द्र के पास नीट और जेईई (मुख्य) की परीक्षाओं के लिये केन्द्रीय मंत्रालय के पास एक जिले में कई परीक्षा केन्द्र बनाने की बजाय प्रत्येक जिले में कम से कम एक परीक्षा केन्द्र स्थापित करने का पर्याप्त वक्त था। याचिका में कहा गया है कि इस परीक्षा के लिये लाखों छात्रों का पंजीकरण इस बात का संकेत नहीं है कि उन्होंनेपरीक्षा के लिये अपनी सहमति दी है या इसमें व्यक्तिगत रूप से शामिल होनेकी इच्छा व्यक्त की है। याचिका में कहा गया है कि न्यायालय का 17 अगस्त का आदेश स्पष्ट नहीं है और उसमे इस मामले से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा ही नहीं की गयी है। इसमें दो ही कारण बताये गये हैं-जीवन चलते रहना चाहिए और छात्रों को अपना शैक्षणिक वर्ष नहीं गंवाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ‘जीवन चलते रहना चाहिए’ टिप्पणी दार्शनिक नजरआती होगी लेकिन यह नीट यूजी और जेईई परीक्षाओ के आयोजन से संबंधित तमाम पहलुओं पर पुख्ता और वैध कानूनी तथा तर्कसंगत विश्लेषण का स्थान नहीं ले सकती।

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