उच्चतम न्यायालय में जनसंख्या नियंत्रण के कड़े उपायों के लिए याचिकाएं दायर
जनसंख्या नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं हैं जिसमें केन्द्र को दो बच्चों की नीति अपनाते हुए जनसंख्या नियंत्रण के कड़े उपाए सुनिश्चित करने और इसका पालन करने वालों को पुरस्कृत करने तथा ऐसा करने में विफल रहने वालों को दंडित करने के निर्देश देने की मांग की गयी है।
नयी दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं हैं जिसमें केन्द्र को दो बच्चों की नीति अपनाते हुए जनसंख्या नियंत्रण के कड़े उपाए सुनिश्चित करने और इसका पालन करने वालों को पुरस्कृत करने तथा ऐसा करने में विफल रहने वालों को दंडित करने के निर्देश देने की मांग की गयी है। अधिवक्ताओं अनुज सक्सेना, पृथ्वी राज चौहान और प्रिया शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) में दावा किया गया है कि जनसंख्या वृद्धि से जुड़े आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 2022 तक भारत की आबादी डेढ़ करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी।
जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बेरोजगारी, गरीबी, निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जनसंख्या विस्फोट के कुछ प्रभाव हैं। इन याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। पीआईएल में कहा गया है, ‘‘प्रतिवादी (केंद्र) को निर्देश दीजिए कि वह दो बच्चों की नीति को अपनाने वालों को प्रोत्साहित या पुरस्कृत करने एवं इसका पालन नहीं करने वालों को दंडित करने के लक्ष्य के साथ नीति तैयार करे।’’ इनमें दावा किया गया है कि भारत के पास सबसे अधिक युवा बल है और जनसंख्या विस्फोट के कारण युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है।
पीआईएल में कहा गया है, ‘‘1951 की जनगणना में भारत की आबादी करीब 36.1 करोड़ थी जो 2011 की गणना में बढ़कर 1.21 अरब हो गयी।’’ इससे पहले 12 फरवरी को अनुपम बाजपेयी ने इसी मुद्दे को लेकर शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जनसंख्या वृद्धि से देश के सीमित प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ रहा है।
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