RCEP मुद्दे पर सरकार को घेर रहीं सोनिया पर पीयूष गोयल ने किया करारा वार
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ''''सोनिया गांधी आरसीईपी और एफटीए पर अचानक जाग गई हैं। वो तब कहां थीं जब आरसीईपी देशों के साथ व्यापार घाटा 2004 में 7 बिलियन से बढ़कर 2014 तक 78 बिलियन डॉलर पहुंच गया था।''''
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (RCEP) के मुद्दे को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि यह सरकार पहले ही बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और कृषि संकट को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी इन पर कारगर कदम उठाने के बजाय सुर्खियां बंटोरने और आयोजनों में व्यस्त हैं।
Smt. Sonia Gandhi ji has suddenly woken up to RCEP and FTAs. So where was she
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) 2 November 2019
When her Govt. opened 74% of its market to ASEAN countries but richer countries like Indonesia opened only 50% for India? Why did she not speak against giving larger concessions to richer countries
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सोनिया गांधी के इस बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ''सोनिया गांधी आरसीईपी और एफटीए पर अचानक जाग गई हैं। वो तब कहां थीं जब आरसीईपी देशों के साथ व्यापार घाटा 2004 में 7 बिलियन से बढ़कर 2014 तक 78 बिलियन डॉलर पहुंच गया था।'' उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में भारत इस साझेदारी के साथ जुड़ा था। रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अपने कई सिलसिलेवार ट्वीटों के जरिये सोनिया गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह देश को गुमराह नहीं करें।
PM @narendramodi ji has highlighted that RCEP must be a win-win “We too would like a win-win outcome. We believe that for this, addressing our concerns over unsustainable trade deficits is important.” https://t.co/3kDKx1taXh
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) 2 November 2019
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क्या है RCEP
RCEP एक व्यापार समझौता है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार करने में सहूलियतें प्रदान करता है। इस करार के तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला कर नहीं भरना पड़ता है और अगर भरना भी पड़ता है तो वह बहुत कम होता है। इस करार पर आसियान के 10 देशों के साथ-साथ छह अन्य देश, जिसमें भारत भी शामिल है, हस्ताक्षर करेंगे।
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