कोरोना महामारी के बीच पेड़ लगाओ अभियान का निर्बाध सफर जारी

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पीपल बाबा अपने स्वयंसेवकों के साथ कोरोना से बचनें के लिए सभी जरूरतों का पालन करते हुए काम को जारी रखा है। पीपल बाबा कहते हैं कि जैसे कोरोना योद्धा (डॉक्टर, सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी, प्रशासन और सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं के लोगों ने अपना योगदान दे रहे हैं ) वैसे ही हमारे पर्यावरण योद्धाओं नें अपने कार्य को जारी रखने की सहमति मांगी।

आज सारा संसार जहां कोरोना महामारी के दौर से गुजर रही है। इस  महामारी  का प्रकोप दुनियां के 187 देशों तक फ़ैल चुका है, किसी को इससे निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं सूझ रहा।  देश अस्थिर है सभी लोग खुद को बचानें के लिए खुद को सामाजिक सरोकारों से अलग किये हुए हैं वहीँ देश ने नामी पर्यावरणकर्मी प्रेम परिवर्तन (जिन्हें पूरी दुनियां पीपल बाबा के नाम से जानती है) “अपने पर्यावरण संवर्धन अभियान में लगे हुए हैं”। 1977 से पेड़ लगाओ अभियान की शुरुआत करने वाले पीपल बाबा का सफ़र निर्बाध रूप से जारी है। कोरोना जैसी महामारी में सभी लोग जहां पर खुद को अलग करते हुए अपने घरों की चाहरदिवारियों में कैद हैं वहीं पीपल बाबा और उनकी टीम सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए अपने पेड़ लगाओ अभियान में जुटी हुई है। पीपल बाबा बताते हैं कि जिंदगी का एक एक दिन अमूल्य है और हमें ईश्वर ने पेड़ लगनें और देश के पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा, 'मैं अपना कार्य करके अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहता हूं। इस महामारी में हमें पहले खुद को सुरक्षित करना है, खुद को सुरक्षित रखते हुए देश को सुरक्षित रखेने की जिम्मेदारी हर इंसान को निभानी है। लेकिन धरती पर बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ लगाने का अभियान भी हमें जारी रखना है।

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पीपल बाबा अपने स्वयंसेवकों के साथ कोरोना से बचनें के लिए सभी जरूरतों का पालन करते हुए काम को जारी रखा है। पीपल बाबा कहते हैं कि जैसे कोरोना योद्धा (डॉक्टर, सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी, प्रशासन और सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं के लोगों ने अपना योगदान दे रहे हैं ) वैसे ही हमारे पर्यावरण योद्धाओं नें अपने कार्य को जारी रखने की सहमति मांगी। 'हम सबने आपस में मीटिंग की और सभी नें सर्वसम्मति से इस कार्य को निरंतर जारी रखनें का कार्य किया है। मेरे एक-एक स्वयं सेवक अपने दिन की शुरुआत पेड़ों के बीच रहकर वर्षों से कर रहे हैं तो घरों में बैठने के बजाय सोशल डिस्टैंसिंग को फॉलो करते हुए इसे जारी रखने का फैसला लिया था। अब तक हमारे सभी पर्यावरण योद्धा अपने कार्य में जुटे हुए हैं।'

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पीपल बाबा बताते हैं 'पेड़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पेड़ लकड़ी, फल, फूल, औषधि, उद्योगों के लिए कच्चे माल का जरिया हैं। इसके साथ-साथ पेड़ अपने जीवन काल में लोगों को ऑक्सीजन देते हैं। उद्योगों से हमारे वातावरण में जो गंदगी (CO2) आती है उसे पेड़ अवशोषित करके बदले में ऑक्सीजन देते हैं। ये पेड़ भगवान शिव के साक्षात प्रतिबिम्ब हैं जो सृष्टि को बचानें के लिए बिष (जहर ) ग्रहण करते हैं।'

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देश के 202 जिलों और 18 राज्यों में 2 करोड़ से ज्यादे पेड़ लगा चुके पीपल बाबा की टीम का कोरोना महामारी के आने के बाद भी वृक्षारोपण का कार्य निरंतर जारी था लेकिन बीच में पेड़ों की सैप्लिंग समाप्त होने पर कार्य रुकने  की सम्भावना बढने लगी थी चुकि उनके ट्रस्ट के  पेड़ों  की सैप्लिंग हरिद्वार में है और इस समय उनके स्वयं सेवक दिल्ली एन सी आर में पेड़ लगाओ अभियान चला रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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