अयोध्या मामले में नई याचिका दाखिल, 1993 के भूमि अधिग्रहण को दी गई चुनौती
अयोध्या राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिये कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है।
नयी दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के पास की भूमि अधिग्रहण करने संबंधी 1993 के केन्द्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को सोमवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। स्वयं को राम लला का भक्त बताने का दावा करने वाले वकीलों के एक समूह ने यह याचिका दायर की है। इस याचिका में दलील दी गयी है कि संसद राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाने में सक्षम नहीं है। याचिका में कहा गया है कि राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिये कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है।
इसे भी पढ़ें : राममंदिर निर्माण पर बोले मोहन भागवत, निर्णायक दौर में है मामला
A plea filed in Supreme Court challenging the Constitutional validity of 'The Acquisition of Certain Area At Ayodhya Act, 1993'.
— ANI (@ANI) February 4, 2019
याचिकाकर्ताओं के अनुसार अयोध्या के कतिपय क्षेत्रों का अधिग्रहण कानून,1993 संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत प्रदत्त और संरक्षित हिंदुओं के धर्म के अधिकार का अतिक्रमण करता है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार को 1993 के कानून के तहत अधिग्रहित 67.703 एकड़ भूमि, विशेषरूप से श्री राम जन्म भूमि न्यास, राम जन्मस्थान मंदिर, मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, जानकी महल और कथा मंडल, में स्थित पूजा स्थलों पर पूजा, दर्शन और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्देश दिया जाये।
इसे भी पढ़ें : राममंदिर निर्माण पर बोले VHP प्रमुख, जहां हुआ था राम का जन्म वहीं बनेगा मंदिर
याचिका में दलील दी गयी है कि संविधान के अनुच्छेद 294 में स्पष्ट प्रावधान है कि संविधान लागू होने की तारीख से उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित भूमि और संपत्ति राज्य सरकार के अधीन है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में अयोध्या में स्थित भूमि और संपत्ति उप्र राज्य की संपत्ति है और केन्द्र सरकार अयोध्या में स्थित भूमि तथा संपत्ति सहित उसका कोई भी हिस्सा अपने अधिकार में नहीं ले सकती है।
इससे पहले, 29 जनवरी को केन्द्र सरकार ने भी एक याचिका दायर कर शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि उसे अयोध्या में 2.77 एकड़ के राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास अधिग्रहित की गयी 67 एकड़ भूमि उसके असली मालिकों को सौंपने की अनुमति दी जाये। केन्द्र ने दावा किया है कि सिर्फ 0.313 भूमि ही विवादित है जिस पर वह ढांचा था जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को ढहा दिया था।
अन्य न्यूज़