शुजात बुखारी को अश्रुपूर्ण विदाई, पुलिस ने एक संदिग्ध को किया गिरफ्तार

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की हत्या के सिलसिले में आज एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया। बुखारी के पैतृक गांव में उन्हें सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। कश्मीर के महानिरीक्षक (आईजी) स्वयं प्रकाश पाणि ने जल्दबाजी में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सदिंग्ध की पहचान जुबैर कादरी के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि कादरी, बुखारी के साथ एक पीएसओ की पिस्तौल चुराते हुए वीडियो में नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा कि पिस्तौल बरामद किये जाने और अपराध स्थल पर उसकी मौजूदगी के बारे में उससे पूछताछ की जा रही है। अब तक वह कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया है। पाणि ने बताया कि राज्य पुलिस ने राइजिंग कश्मीर के संपादक की हत्या की जांच के लिए उपमहानिरीक्षक (मध्य कश्मीर) वी के विर्दी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया है। पाणि ने पत्रकार की हत्या को एक आतंकवादी हमला बताया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीन अन्य हमलावरों की पहचान की जा रही है। गौरतलब है कि बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की कल शाम इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइजिंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों की भी हत्या कर दी गई थी। बुखारी को उनके पैतृक गांव में आज सुपुर्द ए खाक किया गया।
भारी बारिश के बीच उनके जनाजे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें उनके दोस्त और प्रशंसक भी शामिल थे। जिस समय वरिष्ठ एवं अनुभवी पत्रकार को सुपुर्द ए खाक करने की तैयारी चल रही थी, उस समय पाठकों के हाथ में राइजिंग कश्मीर का ताजा अंक था। अखबार के पहले पूरे पन्ने पर काले रंग की पृष्ठभूमि में प्रधान संपादक शुजात की श्याम श्वेत तस्वीर छपी थी।
इस पन्ने पर एक संदेश लिखा है: जिन लोगों ने उन्हे हमसे छीन लिया है, उन कायरों से नहीं डरेंगे। जिन लोगों ने शुजात के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया और परिजनों को सांत्वना देने उनके गांव गए, उनमें विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला तथा भाजपा और पीडीपी के मंत्री शामिल हैं। इस बीच लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (15 वीं कोर के कमांडर) ने कहा कि उनका आकलन है कि बुखारी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर गोली मारी गई है।
उन्होंने मीडिया से कहा कि मेरा आकलन है कि आईएसआई के इशारे पर इस काम को अंजाम दिया गया है। बाकी जांच में पता चल जायेगा। पुलिस ने एक वीडियो स्क्रीन जारी की है जिससे यह पता चलता है कि एक दाढी वाला व्यक्ति संपादक के वाहन के आंतरिक हिस्से का मुआयना कर रहा है। इस वीडियो को वहां एक राहगीर ने बनाया था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बुखारी की हत्या के बावजूद दैनिक का प्रकाशन उनके प्रति सबसे उचित श्रद्धांजलि है।
उमर ने अखबार के पहले पन्ने की तस्वीर को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘काम जारी रहना चाहिए, शुजात भी यही चाहते होंगे। यह आज का राइजिंग कश्मीर का अंक है। इस बेहद दुख की घड़ी में भी शुजात के सहयोगियों ने अखबार निकाला जो उनके पेशेवराना अंदाज का साक्षी है और दिवंगत बॉस को श्रद्धांजलि देने का सबसे सही तरीका है।’ इस जघन्य घटना पर शोक प्रकट करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए समय आ गया है कि वह ‘‘ जिद्दी रवैये को छोड़ें तथा देश हित में तत्काल कश्मीर नीति की समीक्षा करें।
द हिंदू समूह के अध्यक्ष एन राम ने कहा कि दिवंगत पत्रकार सरकार के आदमी नहीं थे, वह प्रतिष्ठान के भी आदमी नहीं थे और न ही उनकी चरमपंथी ताकतों के प्रति कोई सहानुभूति थी। शुजात ने 1997 से 2012 तक हिंदू के लिए काम किया था। राम ने एक टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘उनका मानना था, मुझे लगता है, कि कश्मीर में चाहे जैसी भी समस्या हो वह उसके निदान की आवाज थे।
प्रख्यात संपादक ने कहा कि यह हत्या चौंकाने वाली है क्योंकि ऐसा माना जाता था कि कश्मीर में पत्रकारों की हत्या नहीं होगी। उन्होने कहा, ‘ऐसे मामले अतीत में थे, लेकिन बहुत नहीं थे।आपको इसके लिए 15 साल पीछे जाना पड़ेगा।’ कश्मीर में तीन दशक के हिंसा के दौर में शुजात बुखारी चौथे ऐसे पत्रकार हैं जिनकी हत्या की गयी है। इससे पहले 1991 में ‘असलफा’ के संपादक मोहम्मद शबान वकील की हिजबुल मजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
इसके चार साल बाद 1995 में बीबीसी संवाददाता युसूफ जमील बम धमाके में बाल बाल बच गए थे। यह विस्फोट उनके कार्यालय में हुआ था। इस घटना में एएनआई के कैमरामैन मुश्ताक अली मारे गए थे। नाफा के संपादक परवेज मोहम्मद सुल्तान की 2003 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने प्रेस एनक्लेव स्थित कार्यालय में गोली मार कर हत्या कर दी थी।