पुलिस का दावा, गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के पत्र में था राजीव गांधी जैसी घटना का जिक्र

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[email protected] । Aug 31 2018 6:25PM

मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना जैकब विल्सन को इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के संबंध में जून में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

मुंबई। महाराष्ट्र पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि गिरफ्तार किये गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के माओवादियों से संबंध होने के बारे में ‘‘ठोस सबूत’’ हैं। साथ ही गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं में से एक द्वारा भेजे गए एक पत्र में “मोदी राज खत्म करने के लिए राजीव गांधी जैसी घटना” की योजना बनाने का भी जिक्र है। महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) परमवीर सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रोना विल्सन और भाकपा माओवादी के एक नेता के बीच एक ई-मेल पत्र में राजीव गांधी जैसी घटना के जरिए ‘‘मोदी राज’’ खत्म करने के बारे में कहा गया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना जैकब विल्सन को इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के संबंध में जून में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि पत्र में ग्रेनेड लांचर खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत पड़ने का भी जिक्र है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने माओवादियों के भूमिगत कार्यकर्ताओं और अन्य कार्यकर्ताओं के बीच आदान-प्रदान हुए हजारों पत्र जब्त किए हैं। 

सिंह ने बताया, “रोना द्वारा माओवादी नेता “कॉमरेड प्रकाश” को लिखे पत्र में कहा गया है।हमें यहां की वर्तमान स्थिति के संबंध में आपका आखिरी खत मिल गया है। अरुण (फरेरा) , वेर्नन (गोन्जाल्विस) और अन्य शहरों में चल रही मुहिम को लेकर समान रूप से चिंतित हैं।” उन्होंने कहा, “पत्र में चार लाख राउंड वाले ग्रेनेड लॉन्चर की वार्षिक आपूर्ति के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत के बारे में भी कहा गया है।”

सिंह ने कहा कि पत्र में प्रकाश से अपना फैसला बताने को भी कहा गया। सिंह ने पत्र के हवाले से कहा, “कॉमरेड किसन और कुछ अन्य कॉमरेड ने मोदी राज खत्म करने के लिए कुछ ठोस कदमों का प्रस्ताव दिया है। हम राजीव गांधी (हत्याकांड) जैसी ही अन्य घटना के बारे में सोच रहे हैं।” उन्होंने कहा कि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के बीच आदान-प्रदान हुए कुछ पत्रों में “कुछ बड़ा कदम” उठाने की योजना बनाने के बारे में भी कहा गया है, ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके। सिंह ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को भी इसी तरह के सबूतों के आधार पर 2014 में गिरफ्तार किया गया था।

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