चाचा-भतीजा से लेकर बाप-बेटी तक चुनावों में कर रहे हैं दो-दो हाथ

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अभिनय आकाश । Apr 1 2019 7:01PM

उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की दूसरी पीढ़ी के नेता अक्षय यादव सांसद हैं। 2014 के चुनाव में उन्होंने यहां पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की और पहली बार लोकसभा में पहुंचे।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के एलान के बाद ही सियासी तापमान अपने उफान पर है। राजनीतिक प्रचार-प्रसार के बीच तमाम राजनीतिक दल बदलते पैंतरों से चुनावी रण को जीतने की कवायद में लगी है। लेकिन इस सियासी रण में कई सीटों पर रिश्तेदार एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिश में लगे हैं। ऐसी ही कुछ रोचक भिड़ंत पर के बारे में जानते हैं।

उप्र: फिरोजाबाद में चाचा-भतीजा हैं आमने-सामने

वैसे तो यह कहां जाता देश की दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में ही इस बार एक दिल्चस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की दूसरी पीढ़ी के नेता अक्षय यादव सांसद हैं। 2014 के चुनाव में उन्होंने यहां पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की और पहली बार लोकसभा में पहुंचे। इस सीट पर सपा से अलग होकर शिवपाल यादव अपनी नई पार्टी समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के टिकट पर इस सीट से चुनावी ताल ठोक रहे हैं।

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फिरोजाबाद लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास 

जाट और मुस्लिम वोटरों के वर्चस्व वाली इस सीट पर इस बार भी निगाहें टिकी हैं। फिरोजाबाद लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो शुरुआती चुनावों में ये सीट कभी किसी एक पार्टी के हक में नहीं रही और लगातार जनता ने अपना मिजाज यहां पर बदला। इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने यहां से चुनाव जीता, 1971 में कांग्रेस ने यहां पर जीती। 1977 से लेकर 1989 तक हुए कुल चार चुनाव में भी कांग्रेस सिर्फ एक बार ही जीत पाई। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2009 से इस सीट पर चुनाव लड़ा और जीते हालांकि चुनाव के बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था। जिसके बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने चुनाव जीता और 2014 में समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने यहां से बड़ी जीत हासिल की।

सीट का समीकरण क्या कहता है? 

फिरोजाबाद क्षेत्र में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम जनसंख्या है, यानी मुस्लिम मतदाता यहां पर निर्णायक स्थिति में हैं। 2014 के आंकड़ों के अनुसार यहां 16 लाख से अधिक वोटर हैं, इनमें 9 लाख से अधिक पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं। 2019 के चुनाव में भी इस सीट पर मुस्लिम, जाट और यादव वोटरों का समीकरण बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें टुंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीटें शामिल हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ सिरसागंज की सीट पर समाजवादी पार्टी ने बाजी मारी थी और बाकी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं।

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आंध्र प्रदेश: अराकू लोकसभा सीट के लिए पिता-पुत्री में हो रहीं भिड़ंत

आंध्र प्रदेश की अराकू लोकसभा सीट पर अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विरीचेरला किशोर चंद्र सूर्यनारायण देव यहां तेलुगू देशम पार्टी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने उनकी बेटी और दिल्ली की वकील, सामाजिक कार्यकर्ता वी. श्रुति देवी को उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।

अराकू लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास 

साल 2008 में ये लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किशोर चंद्रदेव ने ये सीट जीती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किशोर चंद्र देव को 360,458 वोट मिले, जबकि दूसरे पर सीपीआई एम और तीसरे नंबर पर पीआरपी रही। अराकू लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीट आती हैं। इनके नाम पालाकोंडा, कुरपम, पार्वथीपुरम, सैलूर, अरकू, रामपचवेंद्रम और पडेरू विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ये सीट अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है।

राजस्थान: बीकानेर में भाई-भाई के बीच जंग

राजस्थान की चर्चित बीकानेर सीट पर कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस अधिकारी मदनगोपाल मेघवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल तीसरी बार भाग्य आजमाएंगे। राजनीतिक समर में उतरे इन दोनों प्रत्याशियों में कई समानताएं हैं। दोनों भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में आए हैं, दोनों मेघवाल समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों मौसेरे भाई हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति में आए और बीकानेर सीट से जीते। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के शंकर पन्नू को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया।

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बीकानेर लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास 

2009 में परीसीमन के बाद से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पिछले 3 लोकसभा चुनाव से बीकानेर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। पिछले दो चुनाव से भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल इस सीट से जीतते आ रहे हैं। मेघवाल इस समय केंद्र सरकार में मंत्री है। साल 2004 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर फिल्मस्टार धर्मेंद्र बीकानेर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आजादी के बाद बीकानेर में अब तक 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें 6 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी, 1 बार भारतीय लोकदल, 1 बार सीपीएम और 4 बार निर्दलीय का कब्जा रहा।

सीट का समीकरण क्या कहता है? 

बीकानेर लोकसभा सीट पर कुल आबादी का 22.91 फीसदी अनुसूचित जाति और 0.37 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं। उस सीट पर ब्राह्मण मतदाता बी निर्णायक भूमिका में हैं। बीकानेर में हिंदू आबादी 78 फीसदी और मुस्लिम आबादी 15 फीसदी है। बीकानेर संसदीय सीट के अंतर्गत जिले की सात विधानसभा सीट-बीकानेर पूर्व, बीकानेर पश्चिम, कोलायत, खाजूवाल, लूणकसर, श्री डूंगरगढ़, नोखा के अलावा श्रीगंगानगर की एक विधानसभा अनूपगढ़ शामिल हैं।   

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