लोकसभा में उठा प्रदूषण का मुद्दा: पराली जलाने के बजाय वाहनों, उद्योगों को ठहराया गया जिम्मेदार
कांग्रेस के मनीष तिवारी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और भाजपा के प्रवेश वर्मा ने कहा कि पराली जलने से प्रदूषण फैलने के दावे निराधार हैं और इसके बड़े कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक प्रदूषण एवं अन्य कारण जिम्मेदार हैं।
नयी दिल्ली। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और देश के अन्य शहरों में इस समय व्याप्त वायु प्रदूषण के पीछे किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराने के दावों को गलत बताते हुए लोकसभा में मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के विभिन्न दलों के सदस्यों ने वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं को इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दुनिया के कुछ अन्य शहरों का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में भी आबोहवा को पूरी तरह साफ किया जा सकता है और इसके लिए केंद्र तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमान संभालनी चाहिए।
Parvesh Sahib Singh Verma, BJP, in Lok Sabha: Aaj jo usne (Delhi CM) Dilli ko diya hai ki 5 saal pehle akela Delhi CM khaasta tha, aaj poori Dilli khaas rahi hai. All he has given to Delhi for free is, pollution. https://t.co/BQF9eiq1ZN
— ANI (@ANI) November 19, 2019
कांग्रेस के मनीष तिवारी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और भाजपा के प्रवेश वर्मा ने कहा कि पराली जलने से प्रदूषण फैलने के दावे निराधार हैं और इसके बड़े कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक प्रदूषण एवं अन्य कारण जिम्मेदार हैं। निचले सदन में नियम 193 के तहत प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण को लेकर हर साल पड़ोसी राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में किसानों के पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जबकि इस तरह के दावे गलत हैं।उन्होंने कहा कि पराली जलाना गलत है और हम भी उसका समर्थन नहीं करते लेकिन किसानों की आर्थिक सीमाएं हैं और केंद्र सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा। आंकड़ों को देखें तो राजधानी में जहरीली हवा के लिए 41 प्रतिशत हिस्सेदारी वाहनों से निकलने वाले धुएं की, 18.6 फीसदी हिस्सेदारी उद्योगों की एवं अन्य कारकों की होती है।तिवारी ने कहा कि छोटे किसानों को वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराना उनके साथ इंसाफ नहीं है। बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने भी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के किसानों को अनावश्यक तरीके से प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में लगभग 8-10 अक्टूबर के आपास धान की फसल के अवशेष जलाना शुरू हुआ लेकिन राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में 27 अक्टूबर को दिवाली के अगले दिन वायु प्रदूषण भयावह स्तर पर पहुंच गया।
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मिश्रा ने कहा कि घटिया स्तर के पटाखे, खासकर चीन के खराब पटाखों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ती कारों की संख्या भी प्रदूषण का बड़ा कारण है। बड़ी संख्या में लोग मेट्रो या सार्वजनिक परिवहन के साधनों का इस्तेमाल नहीं करते और अपनी ही गाड़ी में चलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने का समर्थन नहीं किया जा सकता लेकिन छोटे गरीब किसानों को इस काम से रोकने के लिए केंद्र सरकार को मदद देनी होगी। या तो किसानों को वैकल्पिक फसलों के लिए सब्सिडी दी जाए अथवा पराली से कागज, बिजली, बायोगैस आदि उत्पाद बनाने के संयंत्र लगाकर किसानों को इसे जलाने से हतोत्साहित किया जाए।बीजद सदस्य ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में स्वच्छ भारत अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया है और अब एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर पाबंदी का अभियान चलाया जा रहा है, उसी तरह प्रदूषण के मुद्दे पर भी व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदूषण के मुद्दे को भी उन्हें अपने हाथ में लेना होगा। बिना नेतृत्व के समाधान नहीं निकल सकता।’’कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा ‘‘ ऐसा नहीं है कि वायु प्रदूषण को कम नहीं किया जा सकता। इसका एक उदाहरण चीन का शहर बीजिंग है जहां सरकार ने युद्धस्तर पर काम शुरू करके वहां की हवा को स्वच्छ किया।’’उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के दूसरे शहरों की हवा साफ हो सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते। क्या हमारी इच्छाशक्ति में कमी है? क्या संसाधनों की सीमा है? दिल्ली अन्य शहरों की तरह क्यों नहीं बन सकती? सरकार को इसकी गंभीरता, संवेदनशीलता को समझना होगा और युद्धस्तर पर काम करने के लिए रणनीति बनानी होगी।’’तिवारी ने कहा कि यह दलगत राजनीति का विषय नहीं है। यह दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने गंगा के प्रदूषण का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, सभी ने गंगा नदी को साफ करने के प्रयास किये लेकिन सफलता नहीं मिली। तिवारी ने सदन में मांग उठाई कि प्रदूषण विषय पर एक स्थाई समिति बनाई जानी चाहिए जो सिर्फ इससे और जलवायु परिवर्तन से संबंधित विषयों को देखे और हर संसद सत्र में एक दिन उसके कामकाज की समीक्षा हो। मिश्रा ने भी कहा कि चीन ने कड़े कदम उठाए और कोयले पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर, वाहनों की संख्या पर लगाम लगाकर एवं अन्य उपाय करके बीजिंग के प्रदूषण को कम किया।
Congress leader Manish Tewari in Lok Sabha: Just like there are standing committees such as Committee on Public Undertakings and Estimates Committee, there should be a committee to look into pollution and climate change. pic.twitter.com/paXdESgqC7
— ANI (@ANI) November 19, 2019
बीजद सदस्य मिश्रा ने कहा कि सरकार को वायु प्रदूषण के मुद्दे से फौरन निपटना चाहिए। इस विषय पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से किसी को फायदा नहीं होने वाला। भाजपा सदस्य प्रवेश वर्मा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया है। उन्होंने कहा कि उनसे पहले विभिन्न सदस्यों ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के जो कारण गिनाये, उनमें सबसे कम भूमिका पराली जलाए जाने की है। वायु प्रदूषण के लिये गांवों (में जलाए जाने वाले पराली) को जिम्मेदार ठहराये जाने से गांव और शहर के लोगों के बीच दूरी बढ़ाना सही नहीं है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण निर्माण गतिविधियां हैं, जिनसे धूल निकलती है। वर्मा ने सभी सांसदों से अपील की कि वे अपने-अपने सांसद निधि कोष से दो-दो करोड़ रुपये एयर प्यूरीफायर, धुंध हटाने वाले उपकरणों के लिये दें। उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम आप (सांसद) अपने बच्चों के बारे में सोच कर यह कदम उठाइए।’’ द्रमुक की टी सुमति ने कहा कि विश्व के सर्वाधिक 25 प्रदूषित शहरों में 20 शहर भारत के हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दीर्घकालीन स्थायी समाधान करने के बजाय शायद अस्थायी उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
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उन्होंने कहा कि पीएम 2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रो मीटर से कम व्यास के कण) का स्तर नवंबर में सतर्क करने वाले स्तर पर चला गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य एवं केंद्र सरकार को मिलकर कदम उठाना चाहिए। सुमति ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु सहित देश के अन्य हिस्सों में भी है। सुमति ने कहा, ‘‘यह कल (भविष्य) के युवाओं और बच्चों की समस्या है, जो राष्ट्र की संपत्ति हैं।’’ उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के मानकों का अनुपालन करने पर दिल्ली के नागरिकों की उम्र नौ साल और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। ज्यादातर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु प्रदूषण पर अपने सही आंकड़े उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।’’ तृणमूल कांग्रेस की सदस्य काकोली घोष दस्तीदार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिये सदन में मास्क लगाकर इस मुद्दे पर बोलना शुरू किया। हालांकि, बाद में उन्होंने मास्क उतार लिया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या हम स्वच्छ हवा मिशन शुरू करने जा रहे हैं? 41 प्रतिशत वायु प्रदूषण वाहनों से होता है। 18 प्रतिशत वायु प्रदूषण उद्योगों से होता है। हर व्यक्ति को स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार है।’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के बजाय मानव भलाई के लिये क्यों नहीं सोचना चाहिए? वाईएसआर कांग्रेस के पीवी मिथुन रेड्डी ने वायु प्रदूषण के लिये जिम्मेदार विभिन्न गैसों और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह वक्त कार्रवाई करने का है।’’'
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चर्चा में भाग लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने कहा कि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तुच्छ राजनीति नहीं करनी चाहिए और सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ने से जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा हुई।उन्होंने कहा कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए सबसे पहले प्रकृति पर अत्याचार बंद करना होगा।जदयू के दिनेश्वर कामत ने कहा कि बिहार सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कारगर कदम उठाए हैं जिनका अनुसरण पूरे देश में किया जाना चाहिए।बसपा के दानिश अली ने कहा कि यह शर्मनाक बात है कि प्रदूषण को लेकर होने वाली संसदीय समिति की बैठक में 29 में से सिर्फ चार सांसद पहुंचे थे।उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए एकीकृत नीति बनाने की जरूरत है।टीआरएस के नमा नागेश्वर राव ने कहा कि इस मामले में राजनीति से ऊपर उठकर सभी प्रयास करने होंगे।कांग्रेस के अमर सिंह ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। यह सोचना होगा कि किसान पराली क्यों जलाते हैं? भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना गलत है।उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राजग सरकार के कदम ऐतिहासिक हैं। चर्चा में भाजपा के मनोज तिवारी और गौतम गंभीर, अन्नाद्रमुक के केपी रवींद्रनाथ और माकपा के ए एम आरिफ ने भी भाग लिया। चर्चा अधूरी रही।
Gautam Gambhir, BJP: The state is that of a climate emergency - Delhi is the worst affected. The state can no longer get away with gimmick like Odd-Even & banning construction sites. We need long term sustainable solutions&stop the blame game. It's time to own up&act responsibly. https://t.co/nD0Nc8lgBr
— ANI (@ANI) November 19, 2019
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