राफेल सौदे की जांच के लिए भूषण-शौरी CBI निदेशक से मिले
वकील प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने वृहस्पतिवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से मुलाकात की और राफेल लड़ाकू विमान सौदा तथा ऑफसेट निविदा में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की।
नई दिल्ली। वकील प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने वृहस्पतिवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से मुलाकात की और राफेल लड़ाकू विमान सौदा तथा ऑफसेट निविदा में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की। भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत ‘विस्तृत’ शिकायत के साथ भूषण और शौरी ने जांच की जरूरत के पक्ष में दस्तावेज सौंपे। उन्होंने एजेंसी के निदेशक से कहा कि कानून के मुताबिक जांच की शुरूआत करने के लिए सरकार से अनुमति हासिल करें।
सीबीआई मुख्यालय से बाहर निकलते हुए भूषण ने संवाददाताओं से कहा, ‘सीबीआई निदेशक ने कहा कि वह इस पर गौर करेंगे। हम उपयुक्त कार्रवाई करेंगे।’ राफेल विमानों के निर्माता दसाल्ट ने सौदे के ऑफसेट दायित्व को पूरा करने के तहत रिलायंस डिफेंस को अपना साझेदार चुना था। सरकार कहती रही है कि दसाल्ट द्वारा ऑफसेट साझेदारी चुनने में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
भारत ने पिछले वर्ष सितम्बर में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की 58 हजार करोड़ रुपये में खरीदारी के लिए फ्रांस के साथ अंतर सरकारी समझौता किया था। जेट विमानों की आपूर्ति सितम्बर 2019 से शुरू होगी। सीबीआई को दी गई 33 पन्ने की शिकायत में भूषण और शौरी ने दावा किया कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने पेरिस में सौदे पर दस्तखत होने से कुछ दिन पहले ही अपनी सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस बनाई थी।
इसमें कहा गया है कि सौदे पर हस्ताक्षर होने के महज दो महीने बाद रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) 2013 में संशोधन किया गया और संशोधन में कहा गया कि केवल ऑफसेट शर्तों के साथ सौदा होगा। इसमें आरोप लगाया गया है, ‘अगस्त 2015 में जब मुख्य खरीद निविदा पर हस्ताक्षर होना था, सरकार में कोई ऑफसेट को लेकर काफी चिंतित था। इसके बाद उक्त संशोधन को डीपीपी,2016 में यथारूप शामिल कर लिया गया जो एक अप्रैल 2016 से प्रभावी हुआ।’
शिकायत में 36 हजार करोड़ रुपये के घोटाले’’ के आरोप लगाते हुए दावा किया गया कि सौदे को ‘‘अनुचित, बेईमानी, बदनीयती और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के साथ किया गया।
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