ड्रोन हमलों से निपटने की ये है तैयारी, सेना प्रमुख नरवणे ने दिया बड़ा बयान

Naravane

जनरल नरवणे ने कहा कि पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है और बदलाव लाने के लिए तथा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए प्रक्रिया को और लचीला तथा अनुकूल बनाना जरूरी है ताकि भविष्य में होने वाली जंग के लिए तैयार हुआ जा सके तथा उभरती चुनौतियों से निपटा जा सके।

नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बृहस्पतिवार को कहा कि ड्रोन की आसानी से उपलब्धता ने किसी देश के तथा उस देश प्रायोजित तत्वों दोनों की ओर से सुरक्षा चुनौतियों की जटिलता बढ़ा दी है और आधुनिक युद्ध प्रणाली के बदलते स्वरूप को देखते हुए पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है। एक विचार समूह (थिंक टैंक) के कार्यक्रम में दिए गए संबोधन में जनरल नरवणे ने कहा कि सेना का डिजिटल युग की ओर परिवर्तन, रक्षा खरीद प्रक्रिया के लिहाज से सुगमता वाला नहीं है और सबसे पहला मुद्दा बदलाव अपनाने के लिए मौजूदा सोच को बदलने का है। जम्मू में वायु सेना के एक स्टेशन पर हमले में विस्फोटकों से लदे ड्रोनों का इस्तेमाल किये जाने के कुछ दिन बाद सेना प्रमुख का बयान आया है। यह पाकिस्तान के आतंकवादियों की ओर से हमले की इस तरह की पहली घटना है।

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जनरल नरवणे ने कहा कि पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है और बदलाव लाने के लिए तथा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए प्रक्रिया को और लचीला तथा अनुकूल बनाना जरूरी है ताकि भविष्य में होने वाली जंग के लिए तैयार हुआ जा सके तथा उभरती चुनौतियों से निपटा जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके लिए बदलाव लाने वाली सरल प्रक्रियाओं की जरूरत होगी। दुर्भाग्य से यह हमारे सामने सबसे बड़ा अवरोध रहा है।’’ उन्होंने कहा कि बदलाव को अपनाने की आवश्यकता तभी समझ में आएगी जब आधुनिक युद्धों के बदले स्वरूप को समझा जाएगा। सेना प्रमुख ने जानेमाने सैन्य इतिहासकार बी एच लिडेल हार्ट के प्रसिद्ध उद्धरण का भी जिक्र किया कि ‘‘सेना की सोच में किसी नये विचार को अपनाने से ज्यादा कठिन चीज केवल पुराने विचार को त्यागना है।’’ नये जमाने की सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि ड्रोन बनाना बड़ी सरल परियोजना हो गयी है जिसे घर पर भी किया जा सकता है। उन्होंने ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल द्वारा आयोजित डिजिटल सम्मेलन में कहा, ‘‘ड्रोनों की आसानी से उपलब्धता निश्चित रूप से हमारे सामने जटिलताओं और चुनौतियों को बढ़ाती है। हमारे सामने यह समस्या है और हमने कुछ उपाय किये हैं।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि धरातल पर मौजूद सैनिकों को उभरते खतरे के बारे में जागरुक किया गया है तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित की जा रही हैं, चाहे वे किसी देश से हों या देश प्रायोजित तत्वों से। एआई को आधुनिक युद्ध प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि इसके संबंध में राष्ट्रीय कार्य बल की सिफारिश पर सेना ने एआई संचालित विमानों और योजनाओं के क्रियान्वयन को मुख्यधारा में समाहित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न भूभागों में, विविध ऊंचाइयों पर क्षमता का उपयोग करने के लिए इस दिशा में बहुत काम किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक प्रौद्योगिकियों को शामिल किये जाने को, हमारी सक्रिय सीमाओं के संदर्भ में, नियंत्रण रेखा तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा की विशेषताओं के संदर्भ में और क्षेत्रीय अखंडता अक्षुण्ण रखने के हमारे कार्य के संदर्भ में देखना होगा।

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