राष्ट्रपति कोविंद ने कहा: योग सभी का है, सभी को जोड़ता है

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[email protected] । Dec 28 2018 5:17PM

उन्होंने कहा कि सुबह की सैर के लिए जाना भी योग का एक हिस्सा है और ऐसा नियमित रूप से करने से यह न केवल बीमारी से बचाता है बल्कि यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

 मुम्बई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि योग के बारे में झूठी धारणा निर्मित की जा रही है और फैलायी जा रही है कि योग केवल कुछ लोगों या एक विशेष समुदाय का है। कोविंद योग इंस्टीट्यूट का शताब्दी समारोह मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य संबोधन के लिए यहां आये थे। उन्होंने कहा कि योग सभी का है और सभी को जोड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘झूठी धारणा निर्मित की जा रही है और फैलायी जा रही है कि योग कुछ लोगों या एक विशेष समुदाय का है। लेकिन यह सच्चाई नहीं है। योग शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को स्वस्थ बनाने का एक तरीका है और यह सभी को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि सुबह की सैर के लिए जाना भी योग का एक हिस्सा है और ऐसा नियमित रूप से करने से यह न केवल बीमारी से बचाता है बल्कि यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति यदि योग नियमित रूप से करे तो यह उच्च रक्तचाप, अस्थमा आदि के इलाज का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। कोविंद ने योग को पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाकर बड़ी संख्या में लोगों को स्वस्थ रखकर योग इंस्टीट्यूट की ओर से किये गए योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि योग इंस्टीट्यूट ने रीढ़ की समस्या के इलाज के लिए एक नया आसन इजाद किया है जो कि ट्रक चालकों में चालक की कुर्सी पर घंटों बैठे रहने से होना आम है। इस आसन का नाम ट्रकआसन है। कोविंद ने पिछले वर्ष अपनी सूरीनाम यात्रा को याद करते हुए कहा, ‘‘जब मैं और सूरीनाम के राष्ट्रपति योग कर रहे थे तब ऐसा पहली बार हुआ जब दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक ही मंच पर एक ही समय योग कर रहे थे। उन्होंने इसके साथ ही क्यूबा के राष्ट्रपति के साथ योग के विषय पर अपने संवाद का भी उल्लेख किया।

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इस कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य व्यक्तियों में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक और आध्यात्मिक नेता स्वामी चिदानंद शामिल थे। देवेंद्र फडणवीस ने अपने संबोधन में योग के प्रसार में उत्कृष्ट भूमिका के लिए संस्थान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि योग में व्यक्ति और प्रकृति के बीच मतभेदों को मिटाने और आधुनिक दिनचर्या से उत्पन्न समस्याओं से लड़ने की शक्ति है। इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. हंसा जे योगेंद्र ने कहा कि संस्थान समाज के प्रत्येक वर्ग में योग को लोकप्रिय बनाने के प्रयास जारी रखेगा। द योग इंस्टीट्यूट की स्थापना 1918 में की गई थी। संस्थान वर्ष भर चले अपने शताब्दी समारोहों का 28..29 दिसम्बर को यहां समापन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। वर्ष भर के कार्यक्रमों की शुरूआत गत दिसम्बर में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा की गई थी । इस वर्ष के शुरू में द योग इंस्टीट्यूट को योग को प्रोत्साहित करने और उसके विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए चुना गया था। स्थान से 50 हजार से अधिक योग शिक्षक निकले हैं और इसने 500 से अधिक प्रकाशन किये हैं। 

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