निजता फैसले का असर बीफ संबंधी मामलों पर भी पड़ेगाः सुप्रीम कोर्ट

Privacy verdict to have ''some bearing'' in beef matters: Supreme Court
[email protected] । Aug 25 2017 3:19PM

उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि निजता के अधिकार को बुनियादी अधिकार घोषित करने के उसके फैसले का असर महाराष्ट्र में बीफ रखने से संबंधित मामलों पर भी कुछ हद तक पड़ेगा।

उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि निजता के अधिकार को बुनियादी अधिकार घोषित करने के उसके फैसले का असर महाराष्ट्र में बीफ रखने से संबंधित मामलों पर भी कुछ हद तक पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी बंबई उच्च न्यायालय के छह मई 2016 के फैसले के खिलाफ अपीलों की सुनवाई के दौरान की जिसमें उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों में बीफ रखने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था जिनमें पशुओं का वध राज्य के बाहर किया गया हो।

न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ को एक अधिवक्ता ने सूचित किया कि नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा निजता को बुनियादी अधिकार घोषित करने का गुरुवार को दिया गया फैसला अपील पर फैसला सुनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। पीठ ने कहा, ''हां, इस फैसले का असर कुछ हद तक इन मामलों पर भी पड़ेगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा था कि ''यह किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा कि उसे यह बताया जाए कि उसे क्या खाना चाहिए और कैसे कपड़े पहनने चाहिए।’’ उन्होंने यह कहा कि ये गतिविधियां निजता के अधिकार के दायरे में आती हैं।

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने निजता के अधिकार पर शीर्ष अदालत के फैसले का संदर्भ लाते हुए कहा कि अपनी पसंद के भोजन का सेवन करने का अधिकार अब निजता के अधिकार के तहत सुरक्षित है। उन्होंने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की अपील शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है। दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने मामले को दो हफ्ते के लिए टाल दिया।

महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय के महाराष्ट्र प्राणी संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 1995 की धाराओं 5 (डी) और 9 (बी) को निरस्त करने के फैसले को 10 अगस्त को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है। इन धाराओं के तहत पशुओं का बीफ रखना अपराध है और इसके लिए सजा भी निर्धारित है, चाहे उन पशुओं का वध राज्य में किया गया हो या फिर राज्य के बाहर किया गया हो। उच्च न्यायालय ने इन्हें व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए निरस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की अपील पर नोटिस जारी करने के साथ ही इसे पहले से लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इन प्रावधानों को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया था जिनके तहत बीफ रखना भर ही अपराध है। न्यायालय ने कहा कि राज्य में वध किए गए पशुओं का मांस जानते बूझते रखना ही अपराध होगा।

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