भूमि आवंटन में शर्त नहीं होने पर निजी स्कूलों को फीस वृद्धि के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं: उच्च न्यायालय

High Court

उच्च न्यायालय का यह फैसला शिक्षा निदेशालय के 18 जुलाई, 2017 के एक आदेश को निरस्त करते हुए आया कि रामजस स्कूल (आर के पुरम) शैक्षणिक सत्र 2016-17 के लिए फीस में वृद्धि नहीं कर सकता है।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसे गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूल जिन्हें भूमि के स्वामित्व वाली एजेंसी द्वारा जमीन आवंटित की गई है और फीस में वृद्धि के लिए शिक्षा निदेशालय की पूर्व मंजूरी की शर्त नहीं है, वे ऐसी अनुमति के बिना शुल्क में वृद्धि कर सकते हैं। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने कहा कि किसी स्कूल द्वारा जमा किए गए फीस विवरण के साथ हस्तक्षेप का शिक्षा निदेशालय के पास तभी अधिकार होगा जब उसे लगता है कि शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि से मुनाफाखोरी होगी और शिक्षा का व्यवसायीकरण होगा। 

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उच्च न्यायालय का यह फैसला शिक्षा निदेशालय के 18 जुलाई, 2017 के एक आदेश को निरस्त करते हुए आया कि रामजस स्कूल (आर के पुरम) शैक्षणिक सत्र 2016-17 के लिए फीस में वृद्धि नहीं कर सकता है। उच्च न्यायालय ने 18 जुलाई, 2017 के शिक्षा निदेशालय के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (रामजस स्कूल) को राहत प्रदान किया। रामजस स्कूल के अनुसार, उसे 1974 में भूमि और विकास कार्यालय (एल एंड डीओ) द्वारा भूमि आवंटित की गई थी और संस्था को भूमि के आवंटन से संबंधित दस्तावेज में से किसी में यह प्रावधान नहीं था कि फीस में वृद्धि करने से पहले शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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