धर्मों से जुड़े नाम वाले दलों की समीक्षा के लिये उच्च न्यायालय में जनहित याचिका

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[email protected] । May 16 2019 5:37PM

भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि धर्मों से जुड़े नाम का इस्तेमाल करने या राष्ट्रीय ध्वज जैसे प्रतीकों का उपयोग उम्मीदवार की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है और यह जनप्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) 1951 के तहत भ्रष्ट गतिविधि के समान है। या

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें चुनाव आयोग को धर्मों से जुड़े नाम वाले या राष्ट्रीय ध्वज जैसे प्रतीकों का इस्तेमाल करने वाले दलों की समीक्षा करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में अपील की गई है कि अगर यह पार्टियां तीन महीने के भीतर इन्हें नहीं बदलती हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाए।

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भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि धर्मों से जुड़े नाम का इस्तेमाल करने या राष्ट्रीय ध्वज जैसे प्रतीकों का उपयोग उम्मीदवार की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है और यह जनप्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) 1951 के तहत भ्रष्ट गतिविधि के समान है। याचिका में उच्च न्यायालय से आग्रह किया गया है, धर्म, जाति, नस्ल और भाषाई अर्थ वाले राजनीतिक दलों की समीक्षा की जानी चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि वे राष्ट्रीय ध्वज के जैसे ध्वज का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अगर वे तीन महीने के भीतर इन्हें नहीं बदलते तो उनका पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिये। 

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पेशे से वकील अश्विनी ने दावा किया कि यह कदम उठाने से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किये जा सकेंगे। उन्होंने अपनी याचिका में हिंदू सेना, ऑल इंडिया मज्लिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का जिक्र किया है। उन्होंने याचिका में कहा,  इसके अलावा, कांग्रेस समेत कई ऐसे राजनीतिक दल हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज जैसे ध्वज का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा करना जनप्रतिनिधित्व कानून की आत्मा के विरुद्ध है। 

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