पूजन सामग्री गंगा प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं: उमा

[email protected] । Jul 18 2016 3:04PM

सरकार ने कहा कि गंगा प्रदूषण का प्रमुख कारण औद्योगिक कचरा एवं सीवेज है तथा गंगा को प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के विरूद्ध कड़े प्रावधानों वाला कानून लाने पर विचार हो रहा है।

नदी में डाली जाने वाली पूजन सामग्री को गंगा के प्रदूषण का मुख्य कारण मानने से इंकार करते हुए सरकार ने आज कहा कि इसका प्रमुख कारण औद्योगिक कचरा एवं सीवेज है तथा गंगा को प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के विरूद्ध कड़े प्रावधानों वाला एक कानून लाने पर विचार किया जा रहा है। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि नदी में डाली जाने वाली पूजन सामग्री गंगा नदी के प्रदूषण का मुख्य कारक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पूजन सामग्री नदी प्रवाह के साथ स्वयं बह जाती है। किन्तु जब अन्य प्रदूषण के कारण नदी का बहाव कम या बाधित होता है तो यह पूजन सामग्री एक जगह एकत्र होकर प्रदूषण बढ़ाती है।

उन्होंने इनेलो के रामकुमार कश्यप के पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि गंगा नदी के प्रदूषण का मुख्य कारण इसके किनारे बसी औद्योगिक इकाइयों द्वारा इसमें डाला जाने वाला प्रदूषित जल एवं कचरा तथा सीवेज है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद सितंबर में प्रदूषण फैलाने वाली इन इकाइयों के साथ बैठक कर उन्हें गंगा में प्रदूषण रोकने के उपाय करने के निर्देश दिये गये हैं। उमा ने कहा कि सरकार गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए एक कानून लाने पर विचार कर रही है जिसमें प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ कड़े प्रावधान होंगे।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये गये सर्वेक्षण में गंगा बेसिन में 501 एमएलडी अपशिष्ट जल उत्पन्न करने वाले 764 पूरी तरह प्रदूषणकारी उद्योगों का पता चला है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को नोटिस जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस संकल्प को देश एवं विदेशों में काफी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता को बरकरार रखने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत 20 हजार करोड़ रूपये का कोष उपलब्ध कराने का निर्णय किया है।

उमा ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विभिन्न जगहों पर गंगा जल की गुणवत्ता की जांच का पता लगाने के मकसद से उपकरण लगाने के लिए 196 करोड़ रूपये दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि नमामि गंगा योजना के तहत प्रारंभ में छह शहरों- मथुरा, वृन्दावन, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना और नयी दिल्ली में ‘‘ट्रैश स्कीमरों’’ द्वारा नदी सतह और घाट सफाई कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

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