SC ने विधानसभा अध्यक्ष से किया सवाल, क्या आपको कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है ?

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[email protected] । Jul 12 2019 2:19PM

विधायकों का तर्क था कि उनके इस्तीफे के मामले को लंबित रखने का मकसद उन्हें पार्टी व्हिप के प्रति बाध्यकारी बनाना है।कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुये कहा कि अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये पेश याचिका पर फैसला करने के लिये वह सांविधानिक रूप से बाध्य हैं।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शु्क्रवार को सवाल किया कि क्या अध्यक्ष को शीर्ष अदालत के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है। 10 बागी विधायकों के इस्तीफों के मामले में फैसला करने का निर्देश देने के शीर्ष अदालत के गुरूवार के आदेश के खिलाफ कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के. आर. रमेश की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ कर्नाटक संकट पर विधान सभा अध्यक्ष और कांग्रेस तथा जद (एस) के बागी विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।इन बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शुक्रवार को न्यायालय को सूचित किया कि विधानसभा अध्यक्ष ने उनके इस्तीफा देने के फैसलों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि इस्तीफों को स्वीकार करने के संबंध में उन्हें कोई छूट नहीं प्राप्त है। 

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विधायकों का तर्क था कि उनके इस्तीफे के मामले को लंबित रखने का मकसद उन्हें पार्टी व्हिप के प्रति बाध्यकारी बनाना है।कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुये कहा कि अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये पेश याचिका पर फैसला करने के लिये वह सांविधानिक रूप से बाध्य हैं। इस बीच, न्यायालय ने कर्नाटक युवा कांग्रेस के एक नेता अनिल चाको जोसेफ को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति प्रदान कर दी। जोसेफ के वकील का कहना था कि असंतुष्ट विधायकों का इस्तीफा दल बदल का हिस्सा है। इस मामले में अभी सुनवाई जारी है।

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