राफेल सौदे पर साजिश के तहत चुप्पी अख्तियार की गई है: कांग्रेस
कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर केंद्र पर सवालों से बचने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘साजिश के तहत खामोशी’’ अख्तियार की गई है और ‘‘राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखने’’ की कोशिश की गई है।
पणजी। कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर केंद्र पर सवालों से बचने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘साजिश के तहत खामोशी’’ अख्तियार की गई है और ‘‘राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखने’’ की कोशिश की गई है। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि 2016 में जब फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का करार हुआ था तब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को विश्वास में नहीं लिया गया था। उन्होंने पर्रिकर से इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ने की मांग की।
पणजी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि पर्रिकर की खामोशी उस साजिश में सहमति के समान है जिसके तहत देश को धोखा दिया गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों के बजाय अपने हितों को तरजीह दी। प्रवक्ता ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने विमान की कीमत बढ़ाई, विमानों की संख्या को कम किया और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के बजाय इसे एक ‘मित्रवत’ निजी कंपनी को दे दिया।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘ मैं इसे राफेल सौदा नहीं कहती हूं। यह एक घोटाला है। और सरकार जो कर रही है और जिस तरह से खुद का बचाव कर रही है, यह शर्म की बात है।’’ उन्होंने कहा कि जांच से बचने या जांच कराने की जिम्मेदारी से बचने के लिए साजिश के तहत मौन अख्तियार किया गया है। इस मामले में साफ है कि कैसे राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखकर आप अपने लोगों की मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर उस वक्त रक्षा मंत्री के रूप में फ्रांस में मौजूद नहीं थे जब सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ उनकी मौजूदगी तो भूल जाइए, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (सौदे को लेकर) प्रधानमंत्री के ऐलान के लिए तैयार तक नहीं थे और अचंभित रह गए थे। इससे हम यह समझते हैं कि उनको (पर्रिकर को) इस बात की जानकारी नहीं थी कि सौदे पर बातचीत हुई है, सहमति बनी है और हस्ताक्षर हुए हैं।’’
पर्रिकर नवंबर 2014 से मार्च 2017 तक रक्षा मंत्री थे। चतुर्वेदी ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि पर्रिकर सौदे से संबंधित सवालों का जवाब दें। उन्होंने दावा किया कि पर्रिकर जानते थे कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) के नियमों को ताक पर रखा गया है और रक्षा खरीद की प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पर्रिकर ने मामले पर चुप्पी अख्तियार की हुई है। उन्होंने कहा कि सितंबर 2016 में सौदा होने से कुछ दिन पहले पर्रिकर ने कहा था कि अनुबंध की कुछ शर्तों से समझौता नहीं किया जा सकता।
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