विपक्षी एकता के दावों की खुली पोल, कांग्रेस के साथ आने को कोई राजी नहीं
सबसे पहले उत्तर प्रदेश की बात करें तो आज मायावती ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई भी चुनावी समझौता अथवा तालमेल नहीं करेगी।
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी संभावनाओं को साधने में जुट गई हैं। चुनाव की घोषणा से पहले ऐसा लग रहा था कि इस बार का चुनाव मोदी बनाम महागठबंधन होगा पर अब इस बारे में बात करना भी जायज नहीं लगता। तमाम पार्टियां राहुल गांधी के नाम पर कांग्रेस से गठबंधन पर कन्नी काट रही हैं। राहुल भले ही मोदी सरकार को राफेल, बेरोजगारी, आतंकवाद के मुद्दे पर घरने में कामयाब हो गए हो पर सभी पार्टियों का साथ पाना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अगर आज की ही घटनाओं की बात करें तो कांग्रेस को एक के बाद एक बड़े झटके लगे हैं।
सबसे पहले उत्तर प्रदेश की बात करें तो आज मायावती ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई भी चुनावी समझौता अथवा तालमेल नहीं करेगी। इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश में जिस गठबंधन को लेकर संभावना व्यक्त की जा रही थी वह भी खारिज हो गई। उधर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में दोनों पक्षों के बीच संवादहीनता की स्थिति बरकरार रहने का हवाला देते हुये कहा कि आप दिल्ली की सभी सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी। केजरीवाल ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन के सवाल पर कहा कि कांग्रेस और आप के बीच फिलहाल कोई बातचीत नहीं चल रही है। आप अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी।
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बिहार की बात करें तो कांग्रेस को भले ही लालू का साथ मिला हुआ है पर सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पा रही है। चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद भी वहां सीट बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है। राजद कांग्रेस को पांच सीट से ज्यादा देने को तैयार नही है। आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने राजद के साथ सीटों का तालमेल नहीं होने पर कहा कि उनकी पार्टी राज्य में गठबंधन में शामिल अन्य दलों की मोहताज नहीं है। उनके इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने की कांग्रेस की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए। इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि बिहार में भी कांग्रेस की डगर काफी कठीन है।
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कांग्रेस बंगाल में भी ममता बनर्जी के साथ गठबंधन को लेकर लालायित थी पर ममता ने कोई भाव नहीं दिया और राज्य में लोकसभा की सभी 42 सीटों के लिए तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। चंद्रबाबू नायडू भले ही राहुल के साथ खड़े होकर विपक्षी एकता को मजबूत दिखाने के लिए फोटो खिंचवा लेते हों पर सीट देने में वो भी आना-कानी कर रहे हैं। इन सब के अलावा लगातार कांग्रेस को अपने ही पार्टी छोड़कर दूसरे पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। आज ही महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के पुत्र भाजपा में शामिल हो गए। साथ ही साथ पिछले दिनों बिहार और गुजरात के कई नेता भी कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल का फूल थाम चुके हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम भी इस मामले में चुटकी ले रहे हैं।
बुआ, बबुआ ने साथ छोड़ा और यह दर्द मिटता, इससे पहले सुजय विखे ने पाला ही बदल लिया। हार सामने हो, तो संगी-साथी ऐसे ही ‘हाथ’ छोड़कर जाने लगते हैं। लगता है किसी को नहीं चाहिए, हाथ का साथ!
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 12, 2019
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