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कृषि क्षेत्र में कुछ लोगों का होगा एकाधिकार, मध्य वर्ग और युवाओं को कीमत चुकानी होगी: राहुल
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 19, 2021 14:22
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सरकार को लगता है कि किसानों को थकाया जा सकता है और उनको बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं। समाधान एक ही होगा कि तीनों कानूनों को वापस लेना होगा।
नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा जिसकी कीमत मध्यम वर्ग और युवाओं को चुकानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि ‘‘वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं’’। राहुल गांधी ने ‘किसानों की पीड़ा’ पर ‘खेती का खून’ शीर्षक से एक पुस्तिका जारी की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है। सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘हवाई अड्डों, बुनियादी ढांचे, दूरसंचार, रिटेल और दूसरे क्षेत्र में हम देख रहे हैं कि बड़े पैमाने पर एकाधिकार स्थापित हो गया है। तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार है। ये तीन-चार लोग ही प्रधानमंत्री के करीबी हैं और उनकी मदद करते हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र अब तक एकाधिकार से अछूता था, लेकिन अब इसे भी निशाना बनाया जा रहा है। ये तीनों कानूनों इसीलिए लाए गए हैं। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘नतीजा यह होगा कि तीन-चार लोग पूरे देश के मालिक बन जाएंगे। किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलेगी। बाद में मध्यम वर्ग को इसकी वो कीमत अदा करनी होगी, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी।’’#WATCH Delhi: Congress' Rahul Gandhi reacts on BJP chief JP Nadda's tweets on him, says, "...Farmers know the reality. All farmers know what Rahul Gandhi does. Nadda ji was not at Bhatta Parsaul. I have a clean character, I'm not scared, they can't touch me. They can shoot me." pic.twitter.com/JNXQHviMkG
— ANI (@ANI) January 19, 2021
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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ये कानून सिर्फ किसानों पर हमला नहीं हैं, बल्कि मध्यम वर्ग और युवाओं पर हमला है। युवाओं से कहना चाहता हूं कि आपकी आजादी छीनी जा रही है।’’ कांग्रेस नेता के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा के किसान इस देश के रक्षक हैं। वे कृषि क्षेत्र को कुछ लोगों के हाथ में जाने से रोकने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को लगता है कि किसानों को थकाया जा सकता है और उनको बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं। समाधान एक ही होगा कि तीनों कानूनों को वापस लेना होगा।
सूरत पहुंचे अरविंद केजरीवाल, चुनाव के बाद जनता को कहा- शुक्रिया
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 26, 2021 16:09
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आप ने सूरत नगर निगम (एसएमसी) की 27 सीटें जीतकर गुजरात की राजनीति में अपना रास्ता बना लिया है। गुजरात के छह शहरों में रविवार को नगर निगम के चुनाव हुए थे।
सूरत। गुजरात के सूरत शहर में नगर निगम के चुनावों में अपनी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल लोगों का ‘‘शुक्रिया’’ अदा करने के लिए शहर आए। आप ने हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में 27 सीटें जीती हैं। सुबह शहर के हवाईअड्डा पहुंचने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं सूरत के लोगों का शुक्रिया अदा करने के लिए यहां आया हूं।’’ केजरीवाल दिन में तीन बजे शहर में रोड शो में हिस्सा लेंगे। इसकी शुरुआत वराछा इलाके से होगी और समापन सरथाना में होगा, जहां वह एक जनसभा को संबोधित करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान वह पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों और नवनिर्वाचित पार्षदों से मिलेंगे।
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आप ने सूरत नगर निगम (एसएमसी) की 27 सीटें जीतकर गुजरात की राजनीति में अपना रास्ता बना लिया है। गुजरात के छह शहरों में रविवार को नगर निगम के चुनाव हुए थे। भाजपा 120 सदस्यीय एसएमसी में 93 सीटें जीतकर सत्ता में कायम है जबकि आप शेष 27 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है। कांग्रेस ने 2015 में यहां 36 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। विशेषज्ञों के अनुसार, सूरत में आप की शानदार जीत के लिए मुख्य वजह पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) का समर्थन मिलना रहा। हार्दिक पटेल के नेतृत्व में इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पटेल अभी गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
भारत व्यापार बंद : ओडिशा में दुकानें बंद, सड़कों पर नहीं दिखे वाहन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 26, 2021 16:04
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कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर सुबह छह बजे से शाम छह बजे के बीच भारत बंद का आह्वान किया है। ओडिशा व्यवसायी महासंघ के नेता सुधाकर पांडा ने बताया कि दवा और दूध जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है।
भुवनेश्वर। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा शुक्रवार को 12 घंटे के देशव्यापी बंद के प्रति एकजुटता दिखाते हुए ओडिशा में कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं और सड़कों पर वाहन नहीं उतरे। कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर सुबह छह बजे से शाम छह बजे के बीच भारत बंद का आह्वान किया है। ओडिशा व्यवसायी महासंघ के नेता सुधाकर पांडा ने बताया कि दवा और दूध जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है।
गृह विभाग के विशेष सचिव संतोष बाला ने जिलाधिकारियों को एक पत्र लिखकर सुनिश्चित करने को कहा है कि बंद के कारण आवश्यक सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए। पत्र में कहा गया, ‘‘आशंका है कि प्रदर्शनकारी वाहनों की आवाजाही, रेल यातायात को बाधित कर सकते हैं। कारोबारी प्रतिष्ठान भी बंद रहने और सरकारी कार्यालयों, बैंकों तथा शैक्षणिक संस्थानों के सामने अवरोधक रखे जाने की भी आशंका है।’’ राज्य में करीब 20 लाख दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठा बंद रहे और दोपहर तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। महासंघ से जुड़े नेताओं ने कहा कि भुवनेश्वर, कटक, राउरकेला, संबलपुर, बालासोर और ब्रह्मपुर समेत कई स्थानों पर बंद का असर दिखा। कारोबारियों ने बताया कि राज्य की राजधानी में यूनिट-एक और यूनिट दो, बापूजी नगर और कल्पना जैसे बडे बाजार सुबह से ही बंद हैं।West Bengal: Confederation of All India Traders has called for a nationwide strike today in protest against rise in fuel prices & new e-way bill & GST; latest visuals from Birbhum. pic.twitter.com/FL0hvkSHKJ
— ANI (@ANI) February 26, 2021
कोरोना वायरस: 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में उपचाराधीन मामलों की संख्या एक हजार से कम
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 26, 2021 15:55
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में अभी 1,55,986 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 1.41 प्रतिशत है। कई राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में वायरस के नए मामले बढ़ने की वजह से इनमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
नयी दिल्ली। देश में 20 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया। वहीं 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में उपचाराधीन मामले एक हजार से कम हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि देश में अभी 1,55,986 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 1.41 प्रतिशत है। कई राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में वायरस के नए मामले बढ़ने की वजह से इनमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उसने कहा, ‘‘ हालांकि 21 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में उपचाराधीन मामले 1,000 से कम है।’’
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आंकड़ों के अनुसार,जम्मू-कश्मीर में820,आंध्र प्रदेश में 611, ओडिशा में 609, गोवा में 531, उत्तराखंड में 491, बिहार में 478, झारखंड में 467, चंडीगढ़ में 279, हिमाचल प्रदेश में 244, पुडुचेरी में 196 लक्षद्वीप में 86, लद्दाख में 56, सिक्किम में 43, मणिपुर में 40 , त्रिपुरा में 32, मिजोरम में 27, मेघालय में 20, नगालैंड में 13, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली में पांच, अरुणाचल प्रदेश में तीन, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में दो लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है।
आंकड़ों के अनुसार, 20 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, झारखंड, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, असम, लद्दाख, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पिछले 24 घंटे में वायरस से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया। इस बीच, देश में कुल 1.34 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड-19 का टीका लग चुका है।
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आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह सात बजे तक 2,78,915 सत्रों का आयोजन कर 1,34,72,643 लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके हैं। इनमें से 66,21,418 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) को पहली खुराक और 20,32,994 स्वास्थ्य कर्मियों को दोनों खुराक दी जा चुकी है। वहीं अग्रिम मोर्चे पर तैनात 48,18,231 कर्मियों (एफएलडब्ल्यू) को पहली खुराक दी गई है। देश में 13 फरवरी को टीके की दूसरी खुराक देनी शुरू की गई थी। पहली खुराक देने के 28 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाती है। अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों (एफएलडब्ल्यू) को दो फरवरी से टीके लगने शुरू हुए थे। अब तक हुए टीकाकरण में नौ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में 60 प्रतिशत से कम टीकाकरण हुआ है।

