राहुल का अभियान संविधान बचाओ नहीं बल्कि परिवार बचाओ है: अमित शाह

Rahul''s campaign is not save constitution but save family: Amit Shah
[email protected] । Apr 23 2018 8:17PM

शाह ने कहा, ‘‘संविधान से निकली हमारी संस्थाओं को आज कांग्रेस के हमलों से बचाये जाने की जरूरत है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के संविधान बचाने की मुहिम को जनता को भ्रमित करने का हास्यास्पद प्रयास करार देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि समय और प्रसंग बदलता है परन्तु कांग्रेस पार्टी का जनतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर गाँधी परिवार के स्वार्थ को बचाने का प्रयास जारी रहता है। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि भारत का संविधान अत्यधिक मजबूत और परिपक्व है और जनता की अदालत में फेल होने के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा इसके खिलाफ किया जा रहा प्रचार सिर्फ एक परिवार की राजनीतिक साख को बचाने का एक झूठा प्रचार है। ‘‘संविधान बचाओ या परिवार बचाओ’’ शीर्षक से अपने ब्लाग में अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एक बार फिर से देश में घृणा और विद्वेष की राजनीति शुरू की है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए राहुल गाँधी जैसी शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं, वह न सिर्फ प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अनादर है बल्कि उनकी स्वयं की बौखलाहट का परिचारक भी है। उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी द्वारा लगातार किया जा रहा मोदी विरोध आज देश विरोध का रूप ले रहा है।’’ शाह ने कहा, ‘‘संविधान से निकली हमारी संस्थाओं को आज कांग्रेस के हमलों से बचाये जाने की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी ने किसी भी संस्थान को निशाना बनाना नहीं छोड़ा और वह क्षुद्र राजनीतिक फायदे के लिये चुनाव आयोग, उच्चतम न्यायालय, सेना को निशाना बना रही है।’’ उन्होंने इस संबंध में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाये जाने और विरोधी दलों के शासन वाले राज्यों में अनुच्छेद 356 लगाने का भी जिक्र किया। 

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बार बार यह कह कर डा. अंबेडकर को अपमानित करने की पारिवारिक परंपरा को ही आगे बढ़ा रहे हैं कि कांग्रेस ने संविधान बनाया है। नेहरू-गांधी परिवार ने उन्हें (अंबेडकर को) तब अपमानित किया जब वे जीवित थे और अब भी पार्टी उनका अपमान कर रही है। अमित शाह ने कहा कि अगर कोई एक पार्टी है जिसने संविधान की भावना को खत्म किया है, तो वह कांग्रेस है। वह लोकतंत्र का शासन नहीं चाहती बल्कि वंशवाद के शासन को कायम रखना चाहती है और इसलिये उसके अध्यक्ष का यह फर्जी आंदोलन है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ‘संविधान बचाओ’ अभियान लोकतंत्र के शासन पर वंशवाद के शासन को कायम रखने की चाल है। 

शाह ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को हटाने का कांग्रेस का कदम हर उस संस्थान को कमजोर करने की प्रवृति का हिस्सा है जो अपनी वैयक्तिक पहचान को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए प्रयासरत है। अमित शाह ने राहुल के भाषण पर कहा कि जिन्हें सेना, उच्चतम न्यायालय, चुनाव आयोग, ईवीएम, आरबीआई पर विश्वास नहीं है, वे अब कह रहे हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। इससे पहले राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर उच्चतम न्यायालय को दबाने और संसद को ठप करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरएसएस हर लोकतांत्रिक ढांचे की हत्या कर रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें अगर संसद में 15 मिनट तक बोलने दिया गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद छोड़ कर भाग जाएंगे।

बहरहाल, भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि स्वतंत्र भारत का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जिनमें कांग्रेस पार्टी ने एक परिवार के हित के लिये भारत की संवैधानिक संस्थाओं को बार-बार तोड़ा-मरोड़ा है। कांग्रेस के भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रस्ताव लाने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का यह गैर-जिम्मेदाराना रवैय्या पुराना है और 1973 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने वरिष्ठता में चौथे नंबर के न्यायमूर्ति को प्रधान न्यायाधीश बना दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा 1975 में भी हुआ जब इंदिरा गाँधी की लोकसभा सदस्यता को इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा निरस्त करने के बाद जस्टिस एच.आर. खन्ना को दरकिनार कर गाँधी परिवार के प्रति निष्ठा रखने वाले जस्टिस बेग को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। 

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि इतिहास गवाह कि कांग्रेस पार्टी ने अनेकों बार न्यायपालिका को अपनी सुविधा के अनुसार तोड़ा-मरोड़ा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के बाद देश की दूसरी सबसे पवित्र संस्था सेना के राजनीतिकरण से भी कांग्रेस पार्टी को गुरेज नहीं रहा। उन्होंने इस संबंध में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों तथा भ्रष्टाचार के संबंध में नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाने का जिक्र किया। शाह ने कहा कि पिछले चार वर्षो में कांग्रेस पार्टी को लगातार प्रादेशिक चुनावों में एक-के-बाद-एक हार मिली है जिससे 2014 में 12 राज्यों में शासन करने वाली कांग्रेस सिर्फ चार राज्यों में सिमट गई। ऐसे में ईवीएम पर चयनात्मक प्रश्न उठाना सिर्फ चुनाव आयोग को व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कमजोर करना ही था। उन्होंने कहा कि संविधान ही नहीं, गांधी परिवार की दासता न स्वीकार करने वाले संविधान निर्माताओं को भी कांग्रेस पार्टी ने नहीं बख्शा।

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