दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र: राजनीतिक अस्तित्व के लिए लड़ रहे राजीव बनर्जी

Rajib Banerjee

जनवरी में भाजपा में शामिल हुए बनर्जी तीसरी बार भी चुनावी विजय पाना चाहते हैं। वह न सिर्फ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के इस संदेश के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी किसी व्यक्तिगत नेता से बड़ी है।

दोमजुर (पश्चिम बंगाल)। तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी हावड़ा जिले के दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने भले ही पार्टी बदल ली हो, लेकिन वह व्यक्ति वही हैं जो पहले थे। जनवरी में भाजपा में शामिल हुए बनर्जी तीसरी बार भी चुनावी विजय पाना चाहते हैं। वह न सिर्फ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के इस संदेश के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी किसी व्यक्तिगत नेता से बड़ी है। दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से माकपा का गढ़ था जो 1977 से 2006 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती रही। इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी जंग है और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ जमकर वाकयुद्ध कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से दो बार जीत दर्ज कर चुके बनर्जी पिछले पांच साल में अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला देकर चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चली भगवा लहर ने यहां राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया और भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन गई। दोमजुर विधानसभा सीट श्रीरामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 

इसे भी पढ़ें: ममता बनर्जी ने मतदाताओं को चौकन्ना रहने की दी सलाह, बोलीं- केंद्रीय बलों के जवान डराने-धमकाने पहुंच सकते हैं

भाजपा उम्मीदवार ने कहा, ‘‘तृणमूल कुछ जगह गड़बड़ी उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है। अल्पसंख्यक क्षेत्रों में लोग मुझे जानते हैं और वे इस बात से वाकिफ हैं कि मैं विकास कार्य करते समय लोगों में भेदभाव नहीं करता।’’ तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से बनर्जी के खिलाफ कल्याण घोष को चुनाव में उतारा है जिन्हें हावड़ा से सत्तारूढ़ पार्टी के दिग्गज एवं राज्य के मंत्री अरूप रॉय का करीबी माना जाता है। घोष ने कहा, ‘‘पिछली बार बनर्जी संबंधित सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे क्योंकि लोगों ने ममता बनर्जी और उनके काम को वोट दिया था। अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़