महाराष्ट्र हिंसा की राज्यसभा ने की निंदा, पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने की मांग

Rajya Sabha condemns Maharashtra violence, demands judicial probe
[email protected] । Jan 4 2018 3:05PM

राज्यसभा में सत्ता पक्ष सहित विभिन्न दलों ने महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुयी हिंसा की घटना की एक स्वर में निंदा की और कुछ सदस्यों ने इस पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की वहीं कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने लोगों की भीड़ को देखते हुए कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए थे।

नयी दिल्ली। राज्यसभा में सत्ता पक्ष सहित विभिन्न दलों ने महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुयी हिंसा की घटना की एक स्वर में निंदा की और कुछ सदस्यों ने इस पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की वहीं कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने लोगों की भीड़ को देखते हुए कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए थे।

सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों को महाराष्ट्र की घटना के बारे में अपनी बातें कहने की अनुमति दी। उन्होंने महाराष्ट्र की घटनाओं को सामाजिक टकराव करार दिया और सदस्यों से अपील की कि ऐसे बयानों से बचना चाहिए जिससे स्थिति और बिगड़ जाए। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान देना चाहिए कि दोनों पक्षों को साथ लाया जाए और सामाजिक समरसता बनी रहे।

कांग्रेस की रजनी पाटिल ने महाराराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव गांव की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 200 साल पहले महार रेजिमेंट ने पेशवाओं को हराया था और उसकी याद में हर साल समारोह मनाया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कार्यक्रम की जानकारी होने के बाद भी सुरक्षा के लिए कोई भी उपाय नहीं किया। उन्होंने कहा कि मनुवादी विचारधारा फिर उभर कर सामने आ रही है।

सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि वहां हर साल समारोह आयोजित होता है और ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी कि जरूरी कदम उठाती। उन्होंने इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए घटना की जांच के लिए एक आयोग गठित करने तथा दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने कहा कि पूरे देश में वंचित तबके निशाने पर हैं। उन्होंने भी घटना की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की।

बीजद के दिलीप तिर्की ने कहा कि महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलितों पर अत्याचार की दुखद घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ऐसी घटनाओं की निंदा करती है और इस पर रोक लगनी चाहिए। माकपा के टी के रंगराजन ने आरोप लगाया कि देश भर में दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने घटना की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।

बसपा के वीर सिंह ने भी घटना की उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की वहीं राकांपा नेता तथा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कहा कि वहां का एक इतिहास रहा है और वहां पिछले 50 साल से ऐसी कोई घटना नहीं हुयी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना के संबंध में मामला दर्ज किया है और न्यायिक जांच की भी घोषणा की है। उन्होंने हालांकि कहा कि सरकार को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। पवार ने कहा कि जो हो गया सो हो गया। अब वह सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।

द्रमुक की कनिमोई ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की तथा कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए दीर्घकालिक उपाय किए जाने चाहिए। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि इस पूरे मामले में महाराष्ट्र सरकार की भूमिका संयमित रही और उसकी भूमिका सही रही है। नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती थी। उन्होंने कहा कि घटना के लिए हिन्दूवादी संगठनों पर आरोप लगाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर वहां अदृश्य हाथों द्वारा अंग्रेजों की ‘‘फूट डालो और राज करो’’ की नीति अपनायी गयी। उन्होंने मुंबई देश की आर्थिक रीढ़ है। उन्होंने आशंका जतायी कि महाराष्ट्र तथा देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने की साजिश हुयी है। शिवसेना सदस्य ने कहा कि ऐसी स्थिति में सिर्फ राज्य सरकार की ही नहीं केंद्र की भी भूमिका बनती है।

शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि देश की मजबूती के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए। भाकपा के डी राजा ने कहा कि दलितों से जुड़े मुद्दों का हल करने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस मामले को अलग चश्मे से नहीं देखना चाहिए। किसी भी पार्टी की सरकार हो, वह नहीं कहती कि अत्याचार हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायिक जांच की घोषणा की है और सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।

भाजपा के अमर शंकर सांवले ने कहा कि इस घटना के संबंध में भडकाऊ भाषण दिए गए जिससे महाराष्ट्र का माहौल बिगड़ा। भाजपा के ही संभाजी छत्रपति ने कहा कि दो समुदायों के बीच तनाव दुखद है और वह लोगों से अपील करते हैं कि वे हिंसा तथा समाज को तोड़ने वाले तत्वों से दूर रहें।

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