क्यों मानवाधिकारों पर बहस आतंकवादियों के अधिकारों पर जोर देती है: रविशंकर

नयी दिल्ली। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि क्यों मानवाधिकारों पर बहस सिर्फ आतंकवादियों के अधिकारों पर जोर देती है जबकि पीड़ितों के अधिकारों पर जोर नहीं दिया जाता है। उन्होंने बहामास में ‘राष्ट्रमंडल देशों के विधि मंत्रियों के सम्मेलन’ में कहा कि आतंकवादी कृत्यों के पीड़ितों को सबसे अधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है, लेकिन मानवाधिकारों पर होने वाली बहस में सिर्फ आतंकवादियों और अपराधियों के अधिकारों पर जोर दिया जाता है और पीड़ितों के अधिकारों पर जोर नहीं दिया जाता है।
बाद में बैठक में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और आतंकवाद के कृत्य पीड़ितों के मानवाधिकारों का सबसे बुरा उल्लंघन हैं।’’ विधि मंत्रालय द्वारा आज जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि यह पहला मौका था जब बैठक में आतंकवाद पर एक प्रस्ताव पारित किया गया।
आतंकवाद निरोध और सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रसाद ने कहा कि भारत सीमा पार से चलाए गए आतंकवाद का लंबे समय से पीड़ित रहा है। उन्होंने साइबर सुरक्षा और डाटा निजता पर चिंताओं का निराकरण करने के लिये साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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