RBI ने रेपो रेट में की कटौती, बैंकों के जरिए आम ग्राहकों को मिलेगा इसका लाभ

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[email protected] । Jun 6 2019 8:00PM

रिजर्व बैंक की रेपो दर ताजा कटौती के बाद 5.75 प्रतिशत हो गयी गयी है। इससे रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत पर आ गयी है। यह उम्मीद की जा रही है कि बैंक इस कटौती का लाभ अपने ग्राहकों को देंगे जिससे मकान, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्तें कम होंगी।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को नीतिगत दर में चौथाई प्रतिशत की कमी की। इससे मकान, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) कम होने की उम्मीद है। इस साल यह तीसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में कटौती की है और इससे यह नौ साल के न्यूनतम स्तर पर आ गयी है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये आरटीजीएस और नेफ्ट (एनईएफटी) के जरिये धन अंतरण पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर दिया है और बैंकों से इसका लाभ ग्राहकों को देने को कहा है। नरम पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये शीर्ष बैंक ने आने वाले समय में नीतिगत दर में और कटौती के भी संकेत दिया। इस समय आर्थिक वृद्धि दर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सत्ता में आने के बाद के न्यूनतम स्तर पर है।

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रिजर्व बैंक की रेपो दर ताजा कटौती के बाद 5.75 प्रतिशत हो गयी गयी है। इससे रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत पर आ गयी है। यह उम्मीद की जा रही है कि बैंक इस कटौती का लाभ अपने ग्राहकों को देंगे जिससे मकान, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्तें कम होंगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी छह सदस्यों ने आम राय से रेपो में कटौती का निर्णय किया। साथ ही मौद्रिक नीति रुख तटस्थ से नरम कर दिया। समिति में गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर डा. विरल वी आचार्य, कार्यकारी निदेशक डा माइकल देवब्रत पात्रा के अलावा अन्य सदस्य डा चेतन घाटे, डा पामी दुआ, डा रविंद्र एच ढोलकिया हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इसका मतलब है कि ब्याज दर में फिलहाल कोई वृद्धि नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि बैंक दरों में मौजूदा कटौती तथा इससे पहले फरवरी और अप्रैल में की गयी कटौती का लाभ ग्राहकों को देने में तेजी लाये। आरबीआई फरवरी से लेकर अब तक कुल मिलाकर अपनी नीतिगत दर प्रधान उधारी दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। केंद्रीय बैंक ने 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के अप्रैल अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत कर दिया है। देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है। इतना ही नहीं पिछले कुछ तिमाहियों में पहली बार आर्थिक वृद्धि दर चीन की वृद्धि दर से नीचे आ गयी। मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि का आवेग उल्लेखनीय रूप से कमजोर पड़ा है...निवेश गतिविधियों में तीव्र गिरावट के साथ निजी खपत वृद्धि में नरमी चिंता की बात है।’ ब्याज दर में कटौती से कर्ज वृद्धि को गति देने तथा अर्थव्यवस्था की सुस्ती को थामने में मदद मिलेगी। 

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मुद्रास्फीति के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे होने से एमपीसी को सकल मांग में वृद्धि के प्रयासों को समर्थन देकर वृद्धि को गति देने के लिये कदम उठाने की गुंजाइश मिली है। रिजर्व बैंक ने खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी को देखते हुए वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को मामूली रूप से बढ़ाकर 3 से 3.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में इसके 2.9 से 3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। यह सरकार द्वारा निर्धारित 2 से 6 प्रतिशत के संतोषजनक दायरे में है। हालांकि उसने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति परिदृश्य को हल्का कम कर 3.4-3.7 प्रतिशत कर दिया जबकि पूर्व में इसके 3.5-3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा गया है, ‘नीतिगत दर में पिछली दो बार की कटौती का असर फैलने के की संभावनाओं को ध्यान में रखने के बावजूद मुख्य मुद्रास्फीति वृद्धि एमपीसी को दिये गये लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। इसीलिए एमपीसी के पास मुद्रास्फीति को एक दायरे में बांधे रखने के अपने लचीले लक्ष्य को बनाए रखने के साथ साथ सकल मांग को गति देने के प्रयासों को समर्थन देने, खासकर निजी निवेश में तेजी लाने के साथ वृद्धि को गति देने के लिये कदम उठाने की गुंजाइश है।’ आरबीआई का मध्यम अवधि का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 प्रतिशत है। मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है, ‘निवेश गतिविधियों में तीव्र सुस्ती के साथ निजी खपत वृद्धि में लगातार नरमी चिंता का कारण है।’

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उम्मीद के अनुसार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद यह 5.75 प्रतिशत पर आ गयी है। इससे पहले जुलाई 2010 में यह 5.75 प्रतिशत थी। इस कटौती के साथ रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत पर आ गयी है। वहीं उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत हो गयी है। एमपीसी ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता, उच्च क्षमता उपयोग, शेयर बाजारों में तेजी तथा दूसरी तिमाही में व्यापार उम्मीदों में सुधार तथा वित्तीय प्रवाह वृद्धि के लिहाज से सकारात्मक है। 

मौद्रिक नीति घोषणा में इस बात पर अफसोस जताया गया है कि बैंकों के लिए नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया गया है। इसमें कहा गया है कि नीतगत दरों में पहले 0.50 प्रतिशत की कमी की गयी पर बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दर में औसतन केवल 0.21 प्रतिशत की कमी की है। पुराने कर्जों पर उल्टे ब्याज औसतन 0.04 प्रतिशत बढ़ गया है। केंद्रीय बैंक ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये आरटीजीएस और नेफ्ट (एनईएफटी) के जरिये धन अंतरण पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर दिया है और बैंकों से इसका लाभ ग्राहकों को देने को कहा है।

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