परीक्षा की अवधि कम करें, जुलाई से आनलाइन या आफलाइन परीक्षा आयोजित करें : यूजीसी

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपनी सिफारिशों में यह कहा है। आयोग ने कोविड-19 महामारी एवं लॉकडाउन के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के लिये परीक्षा एवं अकादमिक कैलेंडर संबंधी दिशानिर्देशों का ब्यौरा देते हुए कहा कि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिये परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाए।

नयी दिल्ली। विश्विवद्यालय कोविड-19 की स्थिति और व्यवहार्यता को देखते हुए जुलाई में आनलाइन या आफलाइन माध्यम से सेमेस्टर परीक्षा आयोजित कर सकते हैं और परीक्षा की अवधि को तीन घंटे से घटाकर दो घंटा किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपनी सिफारिशों में यह कहा है। आयोग ने कोविड-19 महामारी एवं लॉकडाउन के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के लिये परीक्षा एवं अकादमिक कैलेंडर संबंधी दिशानिर्देशों का ब्यौरा देते हुए कहा कि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिये परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाए। यूजीसी ने अपनी सिफारिशों में कहा कि मध्य सेमेस्टर के छात्रों का मूल्यांकन या तो आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर हो या जिन राज्यों में कोविड-19 की स्थिति सामान्य हो जाए, वहां जुलाई में परीक्षा आयोजित करके इसका निर्धारण हो। इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय अपनी उपलब्ध सहायक व्यवस्था के आधार पर यह तय कर सकते हैं कि परीक्षा आनलाइन ली जाए या आफलाइन हो, साथ ही सभी छात्रों को पर्याप्त एवं बराबरी का मौका प्रदान किया जाए। यूजीसी ने कहा है कि, ‘‘ विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करने के वैकल्पिक एवं सरल उपायों को अपना सकते हैं ताकि प्रक्रिया कम समय में पूरी की जा सके। वे परीक्षा की अवधि को तीन घंटे से घटाकर दो घंटे कर सकते हैं।’’ 

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इसमें कहा गया है कि वे परीक्षा की योजना, नियम एवं नियमन के अनुसार आनलाइन या आफलाइन परीक्षा ले सकते हैं और इसमें सामाजिक दूरी के दिशा निर्देशों का जरूर पालन करें, साथ ही यह सुनिश्चित करें कि सभी छात्रों को उचित मौका मिले। आयोग ने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता है और उनकी ग्रेडिंग 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर और शेष 50 प्रतिशत पिछले सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि जहां पिछले सेमेस्टर या पिछले वर्ष के अंक उपलब्ध नहीं हैं, खास तौर पर प्रथम वर्ष के वार्षिक परीक्षा पैटर्न में, वहां 100 प्रतिशत जांच, आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर की जा सकती है।

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