प्रकृति का आदर करना भारत की संस्कृति और दर्शन का हिस्सा: मोदी

Respecting nature is part of India''s culture and philosophy: Modi
[email protected] । Feb 16 2018 12:35PM

मोदी ने कहा कि उनका प्रयास विकास का लाभ वंचित वर्गो तक पहुंचाना है जो सबका साथ, सबका विकास के दर्शन पर आधारित है। देश के कई इलाके बिजली और स्वच्छ जलवायु से वंचित रहे।

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जलवायु विषयक कार्ययोजना की सफलता के लिये जरूरी है कि वह टिकाऊ हो और प्रकृति का आदर करने के भारतीय दर्शन के अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इसके लिए वित्त, संसाधन और प्रौद्योगिकी तक पहुंच भी जरूरी है। मोदी ने कहा, ‘‘प्रकृति का आदर करना भारत की संस्कृति और दर्शन का हिस्सा है, हम धरती को अपनी माता समझते हैं। प्रकृति के साथ सह अस्तित्व बनाकर आगे बढ़ना भी हमारे दर्शन का हिस्सा है। ऐसे में हमें तुच्छ मतभेदों को दरकिनार करते हुए पृथ्वी को रहने का बेहतर स्थल बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।’’ ‘द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट’ (टेरी) की ओर से आयोजित विश्व टिकाऊ विकास शिखर सम्मेलन, 2018 को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि सारे संसाधन प्रकृति और ईश्वर के हैं और हम इन संसाधनों के न्यासी मात्र हैं, महात्मा गांधी ने भी इसी दर्शन की वकालत की थी।’’ उन्होंने कहा कि भारत जैव विविधताओं से भरपूर है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके संरक्षण को मान्यता मिली है। विश्व के कुल भूक्षेत्र में भारत का क्षेत्रफल 2.4 प्रतिशत है और जहां 7..8 प्रतिशत जैव विविधता और 18 प्रतिशत आबादी है। इस क्षेत्र में आंकड़े गवाही देते हैं कि हमारा विकास हरित है।

मोदी ने कहा कि उनका प्रयास विकास का लाभ वंचित वर्गो तक पहुंचाना है जो सबका साथ, सबका विकास के दर्शन पर आधारित है। देश के कई इलाके बिजली और स्वच्छ जलवायु से वंचित रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई में धुंए के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हीं विषयों को ध्यान में रखते हुए उज्जवला और सौभाग्य योजना शुरू की गई हैं और इनका लाभ काफी संख्या में लोगों खासकर महिलाओं को मिल रहा है। इसके अलावा सभी के लिये आवास और बिजली समेत गरीब एवं वंचित वर्गो को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की पहल की जा रही है जिन्होंने लम्बे समय तक इसके लिये इंतजार किया। मोदी ने कहा कि हम नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रहे हैं और हमने 175 जीडब्ल्यू बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसमें से 100 जीडब्ल्यू सौर ऊर्जा पर आधारित होंगे जबकि 75 जीडब्ल्यू अन्य नवीकरणीय स्रोतों से संबंधित होंगे।

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