मतपत्र प्रणाली की वापसी देश को पीछे ले जाने वाला कदम: कृष्णमूर्ति

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[email protected] । Aug 3 2018 6:28PM

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने 17 विपक्षी दलों के 2019 के लोकसभा चुनाव में मतपत्रों के इस्तेमाल पर जोर देने की योजना को लेकर कहा कि मतपत्र प्रणाली की तरफ वापसी एक प्रतिगामी कदम होगा।

हैदराबाद। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने 17 विपक्षी दलों के 2019 के लोकसभा चुनाव में मतपत्रों के इस्तेमाल पर जोर देने की योजना को लेकर कहा कि मतपत्र प्रणाली की तरफ वापसी एक प्रतिगामी कदम होगा। उन्होंने ऐसा करते हुए मतपत्र के दौर में हुई धोखाधड़ी, हिंसा और मतदान बूथ पर कब्जा करने की घटनाओं की याद दिलायी। कृष्णमूर्ति ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर चिंताएं हैं तो विशेषज्ञों पर उनपर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञ यह पता लगाएं कि क्या मतदान बूथ पर ईवीएम चलाने वाले गड़बड़ी कर रहे हैं या खुद ईवीएम में गड़बड़ी है।

उन्होंने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि मशीनें सही से काम नहीं कर रहीं।’ गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सहित 17 विपक्षी दल अगला आम चुनाव मतपत्रों से कराने की मांग को लेकर चुनाव आयोग का रूख करने की योजना बना रहे हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अमेरिका में कई राज्य ईवीएम का इस्तेमाल करते हैं। ब्राजील काफी सफलता के साथ ईवीएम का इस्तेमाल कर रहा है। कुछ अफ्रीकी देशों के पास तकनीक नहीं है लेकिन उन्होंने भारतीय ईवीएम में दिलचस्पी दिखायी है।

उन्होंने कहा कि मतपत्रों की वापसी की मांग करने वाले 17 दल विपक्षी हैं। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘चाहे वह पंजाब हो या कर्नाटक सत्तारूढ़ दल के लोगों ने कभी भी शिकायत नहीं की। हमेशा हारने वाले दल ही शिकायत करते रहे हैं। सत्तारूढ़ दलों को ईवीएम की वकालत करने का बराबर हक है।’ उन्होंने कहा, ‘यह कहना कि हमें दोबारा मतपत्रों का इस्तेमाल करना चाहिए, मुझे लगता है कि यह ना केवल प्रतिगामी है बल्कि संभवत: इस देश के लिए, लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।’

कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनाव में मतपत्रों के इस्तेमाल का मतलब है कि टन के टन कागज की बर्बादी होगी। मतपत्र पर सही से मुहर ना लगने पर मतपत्र प्रणाली के तहत मत अवैध हो सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘मतदान और मतगणना की प्रक्रिया में काफी समय लगता है। यह कहना कि कई देश मतपत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए, एक सही दलील नहीं है क्योंकि वे छोटे देश हैं।’

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘हमारे यहां मतदाताओं की विशाल आबादी है। इंडोनेशिया (जहां मतपत्रों का इस्तेमाल होता है) में नतीजे घोषित करने में एक महीने लगते हैं। आप यहां भी ऐसा ही चाहते हैं। मेरे नजरिये में यह कोई सुधार नहीं है।’ 

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