कुशवाहा की पार्टी में बगावत, NDA के साथ बने रहेंगे RLSP के विधायक

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[email protected] । Dec 15 2018 5:58PM

राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी सदस्यों ने अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुशवाहा ने गठबंधन से अलग होने की घोषणा में निजी हितों को तवज्जो दी।

पटना। राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) को शनिवार को तब एक बड़ा झटका लगा जब बिहार में द्विसदनीय विधानमंडल के उसके सभी सदस्यों ने घोषणा की कि वे अभी भी राजग में हैं। साथ ही रालोसपा सदस्यों ने पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर आरोप भी लगाया कि उन्होंने गठबंधन से अलग होने की घोषणा में निजी हितों को तवज्जो दी। रालोसपा के दोनों विधायकों सुधांशु शेखर और ललन पासवान और पार्टी के एकमात्र विधानपरिषद सदस्य संजीव सिंह श्याम ने यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बयान जारी किया।

तीनों ने शेखर को मंत्रिपद दिये जाने पर जोर दिया जो कि पहली बार विधायक बने हैं और तीनों में सबसे कम आयु के हैं। श्याम ने कहा कि हम चुनाव आयोग से भी सम्पर्क करेंगे और दावा करेंगे कि हम असली रालोसपा का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमें पार्टी के अधिकतर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का समर्थन हासिल हैं। उन्होंने ऐसा करके स्पष्ट किया कि रालोसपा एक बिखराव की ओर से बढ़ रही है।

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रालोसपा ने 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 बिहार विधानसभा चुनाव राजग घटक के तौर पर लड़ा था। रालोसपा के कुल मिलाकर तीन सांसद हैं जिसमें कुशवाहा भी शामिल हैं। इसके साथ ही पार्टी के बिहार में दो विधायक और विधानपरिषद का एक सदस्य है। तीनों विधायकों ने कुशवाहा से अलग होने की घोषणा की है। वहीं दो अन्य सांसदों जहानाबाद से अरुण कुमार और सीतामढ़ी से राम कुमार शर्मा है। अरुण कुमार पिछले दो वर्षों से अलग रास्ता अपनाये हुए हैं।

शर्मा ने शुरू में राजग और नीतीश कुमार के समर्थन में बयान दिया था लेकिन बाद में अपना रूख बदल लिया और उन्हें तब कुशवाहा के साथ दिल्ली में देखा गया था जब उन्होंने कैबिनेट से अपने इस्तीफे के साथ ही राजग से अलग होने के निर्णय की घोषणा की थी। श्याम ने कहा कि हम यह लंबे समय से कह रहे हैं कि हम रालोसपा के राजग के साथ रहने के पक्ष में हैं लेकिन कुशवाहा जिन्हें अपने निजी लाभ की चिंता थी उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। रालोसपा के विधानपरिषद सदस्य ने आरोप लगाया कि गत वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजग में वापस लौटने के बाद रालोसपा के लिए मंत्रिपद पर विचार नहीं करने के बारे में बात करने में कुशवाहा ने देरी की।

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श्याम ने दावा किया वास्तव में उन्होंने इसको लेकर कभी प्रयास नहीं किया। जब सहयोगी दलों के बीच मंत्रिपदों का आवंटन किया जा रहा था वह पटना में घूम रहे थे। उन्होंने कहा कि कुशवाहा केंद्र में अपने मंत्रिपद को लेकर खुश थे। उसके बाद उनका पूरा ध्यान ऐसे समझौते पर केंद्रित था जो उनके हितों की पूर्ति करे। उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं थी कि उनकी पार्टी से भी किसी को राज्य में मंत्रिपद मिलना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि न तो उन्हें और न ही पासवान को मंत्रिपद चाहिए। श्याम ने कहा कि हम चाहते हैं कि सुधांशु शेखर को राज्य मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाए और यदि इसके लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया जाता है तो हम बहुत निराश होंगे।

उन्होंने कहा कि हम दलबदलू नहीं बल्कि असली रालोसपा की प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारा रूख अधिकतर कार्यकर्ताओं और पार्टी के पदाधिकारियों की भावनाओं के अनुरूप है। हम अपने दावे को लेकर जल्द ही चुनाव आयोग से सम्पर्क करेंगे। इस घटना पर टिप्पणी के लिए बिहार में राजग के नेता उपलब्ध नहीं थे। यद्यपि पार्टी में उठापटक पिछले महीने तब सामने आ गया था जब शेखर और पासवान उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आवास पर आयोजित भाजपा विधायक दल की बैठक में शामिल होने पहुंचे थे।

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