आरक्षण पर संघ ने बदली सोच, समीक्षा से समर्थन में उतरे

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[email protected] । Sep 9 2019 5:37PM

लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार समन्वय बैठक में आरएसएस से संबद्ध 35 संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए। बैठक में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा और महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने भी शिरकत की। हाल में भागवत ने सौहार्दपूर्ण माहौल में आरक्षण के लाभार्थियों और जो लोग इसे हासिल नहीं कर रहे हैं उनके बीच बातचीत का सुझाव दिया था।

पुष्कर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को यहां कहा कि समाज में सामाजिक और आर्थिक विषमता रहने के कारण आरक्षण की जरूरत है और जब तक इसके लाभार्थियों को इसकी जरूरत महसूस होती है, इसे जारी रखना चाहिए। आरएसएस के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ का दृढ़ता से मानना है कि मंदिर, श्मशान और जलाशय सभी के लिए खुले होने चाहिए और किसी खास जाति तक सीमित नहीं होने चाहिए।संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समाज में सामाजिक और आर्थिक विषमता है, इसलिए आरक्षण की जरूरत है...हम संविधान प्रदत्त आरक्षण का पूरा समर्थन करते हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस को लगता है कि आरक्षण अनिश्चित काल तक जारी नहीं रहना चाहिए, तो होसबोले ने कहा कि यह व्यवस्था के लाभार्थियों पर निर्भर करता है।

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आरक्षण पर अपने संगठन का रुख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जबतक कि इसके लाभार्थियों को इसकी जरूरत महसूस होती है।’’ उन्होंने कहा कि एक दलित संगठन ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर समाज में भेदभाव खत्म करने के लिए संघ के रुख की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि आरएसएस का दृढ़ता से मानना है और इस विचार के लिए लगातार काम कर रहा है कि मंदिर, श्मशान और जलाशय सबके लिए खुले होने चाहिए।  संघ की समन्यवय बैठक के एजेंडे में आरक्षण शामिल नहीं था और इस पर चर्चा नहीं हुई।

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लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार समन्वय बैठक में आरएसएस से संबद्ध 35 संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए।  बैठक में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा और महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने भी शिरकत की। हाल में भागवत ने सौहार्दपूर्ण माहौल में आरक्षण के लाभार्थियों और जो लोग इसे हासिल नहीं कर रहे हैं उनके बीच बातचीत का सुझाव दिया था। 

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